महुआ ने क्या कहा
महुआ मोइत्रा ने एक्स पर डाले एक पोस्ट में कहा, “ऐसे धनी सफल व्यवसायी जिनकी हर मंत्री और पीएमओ तक सीधी पहुंच है, उन्हें पहली बार के सांसद द्वारा उपहार देने और उनकी मांगों को पूरा करने के लिए क्यों मजबूर किया जाएगा? यह पूरी तरह से तर्कहीन है। यह पत्र पीएमओ द्वारा तैयार किया गया था, न कि दर्शन हीरानंदानी द्वारा।” साथ में महुआ मोइत्रा ने उन दर्शन हीरानंदानी के उन आरोपों को भी झूठ बताया जिसमें कहा गया है कि उन्होंने बिजनेसमैन से कैश और उपहार लिए थे।
आगे महुआ मोइत्रा ने लिखा “पीएमओ ने दर्शन हीरानंदानी और उनके पिता के सिर पर बंदूक तान दी और उन्हें भेजे गए पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए 20 मिनट का समय दिया। बीजेपी सरकार बेसब्री से इंतजार कर रही है कि किसी तरह अडानी मुद्दे पर मेरा मुंह बंद कर दिया जाए। यह स्पष्ट रूप से पीएमओ में कुछ आधे-अधूरे लोगों द्वारा तैयार किया गया है, जो भाजपा के आईटी सेल में एक रचनात्मक लेखक के रूप में काम करते हैं।”
हीरानंदानी ने क्या आरोप लगाए
एक हलफनामे में हीरानंदानी ने कहा, ”मेरे साथ कुछ जानकारी साझा की गई, जिसके आधार पर जब भी जरूरत पड़ी, मैंने उनके संसदीय लॉगिन का उपयोग करके सवालों का मसौदा तैयार करना और पोस्ट करना जारी रखा। महत्वपूर्ण बात यह है कि वह भी मुझसे बार-बार मांगें करती थीं और मुझसे तरह-तरह की मदद मांगती रहती थीं, जिन्हें मुझे उसके करीब रहने और उनका समर्थन पाने के लिए पूरा करना पड़ता था। जो मांगें की गईं और जो मदद मांगी गई, उनमें उपहार देना भी शामिल था। उनकी महंगी विलासिता की वस्तुएं, दिल्ली में उनके आधिकारिक तौर पर आवंटित बंगले के नवीनीकरण, यात्रा व्यय, छुट्टियों आदि में मदद करने के अलावा, भारत के भीतर और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उनकी यात्रा के लिए सचिवीय और रसद सहायता दी गई।”
व्यवसायी ने आगे कहा, “मैं उन्हें नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकता था। कई बार मुझे लगा कि वह मेरा अनुचित फायदा उठा रही थीं और मुझ पर वह काम करने के लिए दबाव डाल रही थी जो मैं नहीं करना चाहता था, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। चूंकि यह मामला सीधे तौर पर मुझसे जुड़ा है और संसदीय विशेषाधिकार समिति के साथ एक राजनीतिक विवाद में बदल गया है और न्यायपालिका ने भी अब इस मामले को अपने हाथ में ले लिया है, मैं सार्वजनिक हित में इस शपथपत्र के माध्यम से तथ्यों को बताना मेरे लिए अनिवार्य समझता हूं।”
हीरानंदानी ने कहा, “मैं महुआ को तब से जानता हूं, जब मैं उनसे बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट 2017 में मिला था, जब वह पश्चिम बंगाल की विधायक थीं और समिट में आने वाले उद्योगपतियों के साथ बात करने के लिए नामित की गई थीं। समिट में उनके साथ मेरी बातचीत में मैंने उन्हें जानकार और स्पष्टवादी पाया।। हमने संपर्क विवरण का आदान-प्रदान किया और तब से संपर्क में रहे। समय के साथ वह मेरी एक करीबी निजी दोस्त रही हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “उनके साथ बातचीत के दौरान मैंने पाया कि वह एक प्रतिभाशाली बुद्धिजीवी और ऐसे जन प्रतिनिधियों में से एक हैं, जो अर्थव्यवस्था और व्यावसायिक मामलों को अच्छी तरह से समझती हैं। मेरा मानना है कि उन्होंने मुझे बुद्धिमान पाया… शायद हमारे लिए घनिष्ठ मित्रता का यह एक और कारण था।