राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार शाम 23 नवंबर को चुनाव प्रचार थम जाएगा। चुनाव में जीत के लिए राज्य की सत्ता पर काबिज कांग्रेस और केंद्र की सत्त पर काबिज भारतीय जनता पार्टी ने अपना पूरा जोर लगा रखा है।
आज शाम जब राजस्थान में चुनाव प्रचार थम रही होगी, तब प्रधानमंत्री मोदी मथुरा में होंगे, जिसकी सीमा राजस्थान से न सिर्फ लगती है बल्कि उसके कई इलाकों की सांस्कृतिक विरासत के केंद्र उत्तर प्रदेश में है। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी आज भक्तिकालीन कवयित्री मीराबाई की 525वीं जयंती के मौके पर आयोजीत ब्रज रज उत्सव में शामिल होंगे।
कौन थीं मीराबाई
मीराबाई जोधपुर के मेड़ता महाराज के छोटे भाई रतन सिंह की इकलौती लड़की थीं, जिनका विवाह मेवाड़ के राजकुमार भोजराज से हुऐ था। भोजराज की असमय मृत्यु के बाद मीरा कृष्ण की भक्ति में रम गईं। उनकी कृष्णभक्ति उनके ससुराल के लोगों को पसंद नहीं आया तो उन्होंने विष देकर मीराबाई को मारने की कोशिश की। बताते हैं कि जहर का प्याला पीने के बाद भी मीराबाई की मृत्यु नहीं हुई। मान्यता यह भी है कि कृष्ण की भक्ति में लीन मीराबाई 1547 ईसवी में उन्हीं की मूर्ति में समा गई थीं। पूरे ब्रज क्षेत्र में मीराबाई को काफी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
मथुरा से मीराबाई के सहारे राजस्थान का संधान करेंगे PM मोदी
बता दें कि मीराबाई राजस्थान से ताल्लुक रखती है। वहीं, भगवान कृष्ण उत्तर प्रदेश के मथुरा में जन्में थे। लेकिन कृष्ण भक्त होने के नाते मीरा अक्सर मथुरा आया करती थीं। इस कारण राजस्थान के बड़े हिस्से में ब्रज संस्कृति का अच्छा-खासा प्रभाव है। ऐसे में मथुरा में मीराबाई की जयंती से संबंधित कार्यक्र में शामिल होकर पीएम मोदी राजस्थान के हिंदू वोटरों को स्पष्ट संदेश देने की कोशिश करेंगे। यह भारतीय जनता पार्टी की सियासी छवि के भी अनुकूल है।
भाजपा ने राजस्थान में कन्हैयाला हत्याकांड और जोधपुर दंगों जैसे मुद्दे उठाकर यह साफ कर ही दिया था कि विपक्ष की जाति जनगणना के दांव का जवाब वह हिंदुत्व के मुद्दों से ही देगी। इसके अलावा राजस्थान के धौलपुर और भरतपुर में ब्रज बोली जाती है। यहां के लोगों का सहज भावनात्मक जुड़ाव मथुरा से है। ऐसे में मथुरा की जमीन से राजस्थान से बाहर रहते हुए भी उसे साधने की कोशिश आसान नजर आती है।
प्रतीकों की राजनीति करने में माहिर हैं मोदी
बीजेपी में प्रतीकों की राजनीति करने की पुरानी परंपरा है। प्रधानमंत्री मोदी भी प्रतीकों की राजनीति में माहिर माने जाते हैं। हाल ही में जब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। उस दौरान वह झारखंड में बिरसा मुंडा की जयंती मना रहे थे।
बता दें छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में आदिवासियों की बड़ी आबादी रहती है। वे बिरसा मुंडा को भगवान भी मानते हैं। ऐसे में झारखंड में बिरसा मुंडा पर कार्यक्रम में शामिल होते हुए दोनों ही चुनावी राज्यों के आदिवासियों को रिझाने की कोशिश की।