आज शाम मुंबई के षणमुखानंद हॉल में आयोजित लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए। इस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी को प्रथम लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री जी ने प्रतिष्ठित गायिका को याद किया और कहा की उनका राष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ा हाथ रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि वो लता दीदी को अपनी बड़ी बहन मानते थे, और ये पुरस्कार पाने वाले वह पहले व्यक्ति बने हैं। प्रधानमेंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “मैं अपने आपको बहुत यहां उपयुक्त बिल्कुल भी अनुभव नहीं कर रहा हूं, क्योंकि संगीत जैसे गहन विषय का मैं जानकार बिल्कुल भी नहीं हूं। लेकिन सांस्कृतिक बोध से में यह महसूस करता हूं कि संगीत एक साधना भी है और भावना भी है। जो अव्यक्त को व्यक्त कर दे वो शब्द है। जो व्यक्त में ऊर्जा का, चेतना का संचार कर दे वो नाग है। और जो चेतन में भाव और भावना भर दे उसे सृष्टि और संवेदना की पराकाष्ठ तक पहुंचा दे वो संगीत है।”
पीएम ने आगे कहा, “संगीत का एक स्वर आपकी आंखो से आंसू की धारा बहा देता है। लेकिन संगीत का स्वर आपको वैराग्य का बोध करा सकता है। संगीत मातृत्व और ममता की अनुभूति करवा सकता है। संगीत आपको राष्ट्रभक्ति और कर्तत्वबोध के शिखर पर पहुंचा सकता है। हम सब सौभाग्यशाली है कि हमने संगीत की इस सामर्थ्य, इस शक्ति को लता दीदी के रूप में साक्षात देखा है। हमें अपनी आंखों से उनके दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। और मंगेश्कर परिवार पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस यज्ञ में अपनी आहुती देता रहा है। और मेरे लिए ये अनुभव और भी कई ज्यादा बढ़ कर रहा है।”
लता दीदी को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “मैं सोच रहा था की दीदी से मेरा नाता कब से किताना पूराना है। दूर जाते जाते याद आ रहा था कि शायद चार-साढ़े चार दसक हुए होंगे, जब सूधीर फरीके जी ने मेरा परिचय करवाया था। और तब से लेकर आज तक इस परिवार के साथ अपार स्नेह अनगीनत घटनाएं मेरी जीवन का हिस्सा बन गई। मेरे लिए लता दीदी, सुर सामराज्ञ के साथ-साथ और जिसको कहते हुए मुझे गर्व अनुभव होता है, वो मेरी बड़ी बहन थी। पीढ़ियों को प्रेम और भावना का उपहार देने वाली लता दीदी से मुझे एक बड़ी बहन जैसा अपार प्रेम मिला है। मुझे लगता है इससे बड़ा जीवन में सौभाग्य क्या हो सकता है।”
उन्होंने आगे कहा,”शायद बहुत दशकों के बाद ये पहला राखी का त्योहार जब आएगा दीदी नहीं होगी। सामान्य तौर पर किसी सम्मान समारोह में जाने का, सम्मान ग्रहण करना इन सब विषयों से में थोड़ा दूर ही रहना पसंद करता हूं क्योंकि में अपने आप को एडजस्ट नहीं कर पाता हूं। लेकिन पुरस्कार लता दीदी जैसी बड़ी बहन के नाम से हो तो ये मेरे लिए उनके अपनत्व पर मंगेशकर परिवार का जो मुझ पर हक है उसके कारण मेरा यहां आना मेरे लिए एक दायित्व बन जाता है। और ये उस प्यार का प्रतीक है। जिस तरह लता दीदी जनजन की थी, उसी तरह मुझे दिया गया यह पुरष्कार भी जन-जन का है। लता दीदी से अकसर मेरी बातचीत होती रहती थी।”
आपको बता दें, 6 फरवरी 2022 को लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में निधन हो गया था। उनके निधन के बाद प्रधानमंत्री मोदी जी ने मुंबई पहुंचकर लता दीदी को श्रद्धांजलि दी थी। वो अक्सर लता मंगेशकर से मिलने उनके आवास पर जाया करते थे, वो लता मंगेशकर को अपनी पड़ी बहन मानते थे।