अयोध्या के लिए आस्था एक्सप्रेस ट्रेनों की शुरुआत की गई। सड़कें, इमारतें नये सिरे से बनायी गई। वही पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार हुआ। राजस्थान के शानदार पत्थर लगाए गए । पूरी अयोध्या रोशनी से नहा रही है, चमचमा रही है। स्ट्रीट लाइट के जरिये पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाने की कोशिश की जा रही है। करोड़ों रुपये के देसी विदेशी फूल से शहर को सजाया जा रहा है। गलियां, अटारी, चौबारे को चमकाने, सजाने और दिखाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी गई है । लेकिन इसके बावजूद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अयोध्या नगरी में वो दिव्यता नजर नहीं आ रही है , जो मर्यादा पुरुषोत्तम के अवधपुरी में रहती थी। अपने इस दर्द को उन्होने जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी, डॉक्टर स्वामी राघवाचार्य, स्वामी वेद आचार्य, डॉक्टर श्याम सुंदर पाराशर सहित अयोध्या के कई संतों से साझा किया है।
गोरखपुर की रौनक अयोध्या से ज्यादा
योगी आदित्यनाथ ने कहा अयोध्या पर खर्च अरबों रुपया के मुक़ाबले गोरखपुर शहर पर सिर्फ़ कुछ प्रतिशत पैसा ही ख़र्च हुआ इसके बावजूद वहाँ अलग ही रौनक है । अगर कुछ और पैसे गोरखपुर पर ख़र्च हो जाएं तो उसकी चमक और बढ़ जाएगी लेकिन अयोध्या में आख़िर ऐसा क्यों हो रहा है कि तमाम भव्य इमारतें बनने और सौंदर्यीकरण के बावजूद भो वह दिव्यता नहीं देख पा रही हो तेज नहीं दिख पा रहा है। योगी आदित्यनाथ मैं अयोध्या के संतों से निवेदन किया है कि वह अपनी पूजा पाठ भजन और तपस्या बढ़ाएं जिससे की अयोध्या भी वृन्दावन जैसा चमक उठे।
योगी आदित्यनाथ ने कहा अयोध्या पर खर्च अरबों रुपया के मुक़ाबले गोरखपुर शहर पर सिर्फ़ कुछ प्रतिशत पैसा ही ख़र्च हुआ इसके बावजूद वहाँ अलग ही रौनक है । अगर कुछ और पैसे गोरखपुर पर ख़र्च हो जाएं तो उसकी चमक और बढ़ जाएगी लेकिन अयोध्या में आख़िर ऐसा क्यों हो रहा है कि तमाम भव्य इमारतें बनने और सौंदर्यीकरण के बावजूद भो वह दिव्यता नहीं देख पा रही हो तेज नहीं दिख पा रहा है। योगी आदित्यनाथ मैं अयोध्या के संतों से निवेदन किया है कि वह अपनी पूजा पाठ भजन और तपस्या बढ़ाएं जिससे की अयोध्या भी वृन्दावन जैसा चमक उठे।
योगी की चिंता पर मलूक पीठाधीश्वर राजेन्द्र दास की सलाह
भारत के प्रसिद्ध संत और मलूक पीठाधीश्वर जगदगुरु स्वामी राजेन्द्र दास ने पत्रिका को बताया कि CM योगी की चिंता उचित है । उन्होंने पौराणिक साक्ष्यों के प्रकाश में कहा कि जब भगवान श्रीकृष्ण बृंदावन छोड़कर गए थे उस वक़्त अपने अहलादिनी शक्ति और लक्ष्मी स्वरूपा राधा रानी को वृन्दावन में ही छोड़कर गए थे इसलिए वृन्दावन का श्री कभी ख़त्म नहीं हुआ।
जबकि मर्यादा में बँधे राम जी ने जब जानकी जी का त्याग किया उस समय अयोध्या के लोगों ने महालक्ष्मी के जाने पर कोई विकलता नहीं दिखाई । नगर वासियों के माथे पर कोई शिकन नहीं आई। उनको ये समझ ही नहीं आया की जानकी जी महालक्ष्मी का स्वरूप है और यही वजह है कि अयोध्या की भूमि को श्राप लगा। राजेंद्र दास जी ने कहा कि अयोध्या की भूमि मैं कोई ऐसा यज्ञ हो जिसमें किशोरी जी को प्रधान रखकर इस भूमि को अभिशाप से मुक्त किया जाए।
भारत के प्रसिद्ध संत और मलूक पीठाधीश्वर जगदगुरु स्वामी राजेन्द्र दास ने पत्रिका को बताया कि CM योगी की चिंता उचित है । उन्होंने पौराणिक साक्ष्यों के प्रकाश में कहा कि जब भगवान श्रीकृष्ण बृंदावन छोड़कर गए थे उस वक़्त अपने अहलादिनी शक्ति और लक्ष्मी स्वरूपा राधा रानी को वृन्दावन में ही छोड़कर गए थे इसलिए वृन्दावन का श्री कभी ख़त्म नहीं हुआ।
जबकि मर्यादा में बँधे राम जी ने जब जानकी जी का त्याग किया उस समय अयोध्या के लोगों ने महालक्ष्मी के जाने पर कोई विकलता नहीं दिखाई । नगर वासियों के माथे पर कोई शिकन नहीं आई। उनको ये समझ ही नहीं आया की जानकी जी महालक्ष्मी का स्वरूप है और यही वजह है कि अयोध्या की भूमि को श्राप लगा। राजेंद्र दास जी ने कहा कि अयोध्या की भूमि मैं कोई ऐसा यज्ञ हो जिसमें किशोरी जी को प्रधान रखकर इस भूमि को अभिशाप से मुक्त किया जाए।
अयोध्या को शाप मुक्त करने के लिए डॉक्टर राघवाचार्य के करेंगे लक्ष शतचंडी महायज्ञ
योगी आदित्यनाथ के साथ कई बरसों से जुड़े रामानुजाचार्य जगत गुरू डॉक्टर स्वामी राघवाचार्य ने मुख्यमंत्री से बातचीत के बारे में बताते हुए पत्रिका से खास बातचीत में कहा कि आदित्यनाथ की सलाह को ध्यान में रखते हुए फरवरी से स्वामी प्रखर जी महाराज के साथ लक्ष्य शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम की शुरूआत मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ही करेंगे। खास बात यह है कि 10 दिन तक चलने वाला लक्ष्य शतचंडी महायज्ञ श्री गणपति महायज्ञ, श्री सीताराम नाम जप सरयू नदी के बीचों-बीच रेत में एक टापू जैसी जगह पर होगा। सरयू के बीच के क़रीब दो किलोमीटर के इलाक़े में मंडप आदि बनाया जा रहा है। इसके लिए देशभर से 21 सौ ब्राह्मणों को बुलाया जा रहा है, जो अयोध्या की अभिशप्त भूमी को जानकी जी के आशीर्वाद से फिर से सिंचित करने का काम करेंगे।
योगी आदित्यनाथ के साथ कई बरसों से जुड़े रामानुजाचार्य जगत गुरू डॉक्टर स्वामी राघवाचार्य ने मुख्यमंत्री से बातचीत के बारे में बताते हुए पत्रिका से खास बातचीत में कहा कि आदित्यनाथ की सलाह को ध्यान में रखते हुए फरवरी से स्वामी प्रखर जी महाराज के साथ लक्ष्य शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम की शुरूआत मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ही करेंगे। खास बात यह है कि 10 दिन तक चलने वाला लक्ष्य शतचंडी महायज्ञ श्री गणपति महायज्ञ, श्री सीताराम नाम जप सरयू नदी के बीचों-बीच रेत में एक टापू जैसी जगह पर होगा। सरयू के बीच के क़रीब दो किलोमीटर के इलाक़े में मंडप आदि बनाया जा रहा है। इसके लिए देशभर से 21 सौ ब्राह्मणों को बुलाया जा रहा है, जो अयोध्या की अभिशप्त भूमी को जानकी जी के आशीर्वाद से फिर से सिंचित करने का काम करेंगे।