CM विजयन ने कांग्रेस पर दागे तीखे सवाल
विजयन ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने यह दावा किया कि वायनाड उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी के धर्मनिरपेक्ष मुखौटा पूरी तरह से उजागर हो गया है। प्रियंका गांधी जमात-ए-इस्लामी के समर्थन से वहां उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। उन्होंने एक सवाल पूछा है कि वास्तव में कांग्रेस का रुख क्या है? हमारा देश जमात-ए-इस्लामी से अपरिचित नहीं है। क्या उस संगठन की विचारधारा लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ मेल खाती है? उन्होंने कहा कि जमात-ए-इस्लामी राष्ट्र या लोकतंत्र को महत्व नहीं देता है और देश के शासन तंत्र की संरचना की उपेक्षा करता है। विजयन ने कहा कि यह संगठन पार्टी के माध्यम से राजनीतिक भागीदारी की आड़ में काम कर रहा था और यह मुखौटा जम्मू और कश्मीर में स्पष्ट था।
‘जमात-ए-इस्लामी करता रहा है चुनावों का विरोध’
केरल के मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि जमात-ए-इस्लामी ने मजबूत सांप्रदायिक रुख को बढ़ावा देते हुए लंबे समय तक जम्मू-कश्मीर में चुनावों का विरोध किया और बाद में उन्होंने (कश्मीर में) खुद को भाजपा के साथ जोड़ लिया।
‘इस संगठन के नेता को हराना था उद्देश्य’
विजयन ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए हाल के चुनावों का जिक्र करते हुए यह दावा किया कि जमात-ए-इस्लामी ने वहां तीन या चार सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी। अंततः उस सीट पर ध्यान केंद्रित किया है जहां सीपीआई (एम) नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी खड़े थे। सीपीआई (एम) के दिग्गज नेता विजयन ने कहा कि उनका लक्ष्य तारिगामी को हराना था और वह इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने भाजपा का सहयोग लिया। हालांकि चरमपंथियों और भाजपा के इस गठबंधन के बावजूद लोगों ने तारिगामी को चुना।”
‘संगठन लोकतांत्रिक शासन को नहीं करती स्वीकार’
उन्होंने कहा कि वायनाड में जमात-ए-इस्लामी का दावा है कि वे कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी से अलग हैं। उन्होंने कहा, “हालांकि, विचारधारा वही है और वह किसी भी प्रकार के लोकतांत्रिक शासन को स्वीकार नहीं करती है। इस बार वे कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ का समर्थन करना चाहते हैं।”
कांग्रेस को संप्रदायवाद का करना चाहिए विरोध
सीएम विजयन ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पूछा , “क्या जो लोग धर्मनिरपेक्षता के लिए खड़े हैं, उन्हें सभी प्रकार के संप्रदायवाद का विरोध नहीं करना चाहिए?” उन्होंने कहा., “क्या कांग्रेस ऐसा कर सकती है? कांग्रेस और मुस्लिम लीग सहित सहयोगी दल, जमात-ए-इस्लामी के साथ अपना गठबंधन बनाए रखने के लिए कुछ ‘बलिदान’ कर रहे हैं। क्या कांग्रेस जमात-ए-इस्लामी के वोटों को अस्वीकार कर सकती है?”