अवैध रिकॉर्डिंग साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं
कोर्ट ने यह फैसला एक पति की याचिका खारिज करते हुए दिया, जिसने अपनी पत्नी और उसकी मां के बीच हुई टेलीफोन बातचीत की रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के रूप में पेश किया था। अदालत ने कहा कि यह रिकॉर्डिंग निजता के अधिकार के उल्लंघन के कारण अवैध है, इसलिए यह साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं है। यह भी पढ़ें
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टेलीफोन बातचीत निजता के अधिकार में शामिल
टेलीफोन टैपिंग या साक्ष्य एकत्र करने के ऐसे अवैध तरीके भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं, जब तक कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के तहत इसकी अनुमति न दी गई हो। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पुट्टूस्वामी मामले में दिए फैसले के हवाले से कहा कि निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। यह भी पढ़ें