सवाल- देश और राजस्थान में चुनाव के मुख्य मुद्दे क्या रहे हैं ?
जवाब- देखिए, हमारा तो मुख्य मुद्दा डवलपमेंट और गुड गवर्नेंस का ही रहा। भारतीय जनता पार्टी भारत को विकसित भारत बनाना चाहती है, लेकिन कांग्रेस का घोषणा पत्र आया, उनकी ओर से अलग अलग बयान आए तब नए मुद्दे भी शामिल हुए। कांग्रेस ने लोगों की सम्पत्ति का सर्वे कर उसे अन्य लोगों में बांटने का वादा किया। वहीं सैम पित्रोदा विरासत कर की वकालत कर रहे हैं।
सवाल- पिछली बार भाजपा ने 303 सीटें जीती थी और इस बार 370 का जो टारगेट दिया है एनडीए के लिए 400 पार की बात हो रही है। इसमें सीटों की संख्या का इजाफा कहां से होता देख रहे हैं?
जवाब- देखिए जब हमने 2014 में कहा कि हम आएंगे तो विपक्षी कहां मान रहे थे, लेकिन हमने 200 भी पार किया और 282 तक पहुंचे। उस समय कल्पना थी, आप उस समय के बहुत सारे अखबार उठाकर देखिए कि बीजेपी 200 के अंदर, हम 200 के पार सत्ता के नजदीक पहुंचना चाह रहे थे। हम कहते थे कि मुद्दा ऐसा हो कि 282 तक पहुंचे। 2019 में हमने 300 पार कहा और 303 तक हम पहुंचे। 2024 में हम 400 पार कह रहे हैं और दक्षिण भारत, बंगाल, उड़ीसा और बिहार यहाँ तक कि पूर्वी भारत में भी हमने जो बेहतर काम किया है तभी यहां के का जनमत भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में तेजी से आकर्षित हो रहा है। और उसके आधार पर हम यह आंकड़ा अवश्य पार करेंगे। पश्चिमी भारत तो भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में है ही। इसलिए हमें लगता है कि इस बार भारत के मतदाता हमें 370 से ज़्यादा सीटें कमल के निशान पर देंगे और एनडीए साथियों के साथ हम 400 पार करेंगे।
सवाल- राजस्थान में भाजपा का क्लीन स्वीप में थोड़ी सी कठिन नजर आ रही हैं, क्या कहेंगे?
जवाब- देखिए, 2014 और 2019 की तरह इस बार भी 25 सीट जीतेंगे। इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए।
सवाल- कास्ट पॉलिटिक्स इस समय राष्ट्रीय मुद्दों पर हावी होती जा रही है। क्या कहना है?
जवाब- देखिए, ये जातिवाद का जो जहर है, ये कांग्रेस ला रही है। हम एक्सरे करेंगे, ओबीसी के 3 सेक्रेट्री हैं। ओबीसी के बजट जैसी बातें राहुल गांधी लाए। जातिवाद का जहर राहुल गांधी जी घोल रहे हैं। अचानक 5-7 महीनों से मैं देख रहा हूं कि उनका ओबीसी प्रेम उमड़ पड़ा है। जबकि 1951 में बाबा साहब अम्बेडकर जब इस्तीफा देते हैं तब ये आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस ओबीसी के खिलाफ है। तब से लेकर कांग्रेस ओबीसी के खिलाफ रही है। काका कालेलकर समिति से लेकर मंडल कमिशन का तो राहुल गांधी जी के पिता राजीव गांधी ने लोकसभा के फ्लोर पर विरोध किया। और आज अचानक उनका ओबीसी प्रेम उमड़ पड़ा है। तो इस चुनाव में जातिवाद की राजनीति कांग्रेस लेकर आई।
सवाल- बीजेपी को किन किन जातियों का साथ मिलता है, कौन कौन सी जातियां बीजेपी को सपोर्ट कर रही हैं?
जवाब- हमारा तो एक मंत्र और एक ही नारा है- सबका साथ सबका विकास। हम तो इसी मंत्र से काम करते हैं।
सवाल-वर्तमान सांसदों के प्रति नाराजगी से पार्टी जूझ रही है, क्या कारण मानते हैं?
जवाब- विपक्ष के लोग ऐसे आरोप लगाते हैं। हकीकत यह है कि मोदी जी हमारे नेता हैं इस देश के प्रधानमंत्री हैं। भाजपा ने तय किया है कि हम सत्ता में आए तो हमारे प्रधानमंत्री पद के दावेदार मोदी जी होंगे। विपक्ष अभी यह तय ही नहीं कर पाया। विपक्ष तो इस दिशा में चला गया कि एक साल एक पीएम बने, दूसरे साल दूसरा पीएम बने। कहीं ऐसा होता है किसी संसदीय लोकतंत्र में? इसलिए विपक्ष कहता है कि बीजेपी का यह चुनाव मोदी जी के सहारे हैं। मोदी जी हमारे नेता हैं भई। हम मोदी जी की बात नहीं करेंगे तो और किसकी करेंगे।
सवाल- पहले ऐसा लगा था कि कांग्रेस नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है, बाद में ऐसे उम्मीदवार मुकाबले में आ गए। कौन-कौन सी सीटों पर आप कड़ा मुकाबला देख रहे हैं
जवाब- कहां टक्कर दे रहे हैं? देखिए, जयपुर में सुनील शर्मा नहीं आना चाह रहे थे उनकी जगह प्रताप सिंह खचारियावास आए। पोलिंग बूथ पर बहुत सी जगह एजेंट ही नहीं बैठाए। आप देखिए राजसमंद में सुदर्शन सिंह रावत ने विदेश से ऐसे बोला जैसे बीबीसी बोलती है -कि मैंने तो टिकट मांगी ही नहीं। कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी का यह हाल है, जो इतने साल सत्ता में रही। एक मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट की सीट पर किसी को आप बिना चर्चा के ही टिकट की घोषणा कर देते हैं। उसने मना कर दिया तो दामोदर गुर्जर को देनी पड़ी। एक हाल बांसवाड़ा- डूंगरपुर मे देखिए – अरविंद डामोर को कांग्रेस ने टिकट दे दिया। उसको उनके नेताओं ने जाकर फार्म भरवा दिया। बाद में पार्टी ने नाम वापस लेने को कहा तो डामोर ने मना कर दिया। यह हाल है कांग्रेस का।
सवाल-राजस्थान की कुछ सीटों पर भाजपा को कड़ी चुनौती मिली है। विपक्षी गठबंधन का असर निकटवर्ती हरियाणा में भी देखने को मिल रहा है।
जवाब- कोई चुनौती नहीं है। आप देखिए सीकर में इनका गठबंधन लड़ा रहा है। कांग्रेस का उम्मीदवार नहीं है न । अब एक कह रहा है कि हमारा गठबंधन है। मैं कह रहा हूं कि सीकर में कम्युनिस्ट पार्टी के लिए सीट छोड़ी है कांग्रेस ने। और कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं केरल में वायनाड से। वहां कम्युनिस्ट पार्टी सामने है। काहे का गठबंधन, ऐसा ठगबंधन चल रहा है, जनता सब जानती है।
सवाल-गुजरात में केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला के बयान से राजपूत समुदाय का समर्थन पार्टी से दरक रहा है। अगर ऐसा हो रहा है तो उसे संभालने के लिए पार्टी के स्तर पर क्या प्रयास हो रहे हैं
जवाब- उन्होंने क्षमा मांग ली है उन्होंने। कई बार क्षमा मांगी है।
सवाल- प्रथम और द्वितीय चरण वोट फ़ीसदी दर कम रही है। इस बारे में आपका क्या कहना है ?
जवाब- देखिए मैं पांच सात दिन से यह डिवेट देख रहा हूं, कुछ लोग गर्मी, कुछ लोग शादियां। यह सब कहने के बावजूद मैं एक कारण मानता हूं कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में निराशा थी, हताशा थी। मैंने लगभग 40-50 बूथ चैक किए अपने बीकानेर संसदीय क्षेत्र में। मुझे 10 जगह ही कांग्रेस की टेबलें मिली और कांग्रेस के लोग मिले। इसका मतलब 40 जगह तो कांग्रेस के आदमी ही नहीं थे। तो जब कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में निराशा-हताशा है तो उनके वोट कहां
सवाल- राजस्थान में नया नेतृत्व को लेकर कार्यकर्ताओं में कहीं न कहीं विश्वास नहीं बन पा रहा है, तो इसका भी चुनाव परिणामों में क्या कोई प्रभाव पड़ेगा?
जवाब- देखिए, कोई भी नई गवर्नमेंट होती है,उसका आंकलन हम करते हैं कि संकल्प पत्र के कितने बिन्दु उन्होंने पूरे किए। अभी वहां भजन लाल शर्मा जी हैं। उन्हें मुख्यमंत्री बने चार महीने ही हुए होंगे। तो हमारा भारतीय जनता पार्टी का संकल्प पत्र आप देखिए। उसका 45 प्रतिशत काम उन्होंने पूरा कर लिया है। 450 रुपए में हम सलेंडर दे रहे हैं। डीजल और पेट्रोल के दाम हम कम करेंगे यह हमारे संकल्प पत्र में था। अशोक गहलोत तो नहीं कर पाए पांच साल में। उन्होंने भी कहा था कि दाम कम करेंगे, नहीं कर पाए ना। हमने कम किया, नेशनल वाइज किया। अब राजस्थान में सरकार के काम की गति पकड़ रही है।
सवाल- मुख्यमंत्री के रूप में आपके नाम की भी काफी चर्चा हुई थी। भविष्य में राज्य के नेतृत्व को संभालने की स्थिति बनी कितने तैयार हैं?
जवाब- मैं पार्टी का सिपाही हूं। जिम्मेदारी मेरे सब्जेक्ट में नहीं है और न ही मेरे से संबंधित सवाल है। मैं पार्टी का सिपाही हूं।
सवाल- आप प्रशासनिक सेवा में रहे हैं तो राजनीति में यह पहलू आपके लिए कितना उपयोगी सिद्ध हुआ है और पार्टी के लिए कितना उपयोगी रहा है?
जवाब- देखिए जब मैं ऑलइंडिया सर्विसेज में था, तो हम इम्प्लीमेंट करने वाले पार्ट में थे। नीतियां बनाने वाले पार्ट में नहीं थे। अब कैंनवास बड़ा हो गया। नीतियां बनाना और इम्प्लीमेंटेशन के लिए जो मंत्री होता है तो वह कुछ एक्जक्यूटिव वर्क भी करता है। कई कमेटियां होती है जिन्हें वह हैड करता है। तो यह कैनवास बड़ा हो गया इसका अनुभव का लाभ निश्चित रूप से पार्टी को मिलता है।
सवाल- कांग्रेस की ओर से संविधान खतरे का आरोप लगा रही है, क्या चाहेंगे?
जवाब- यह झूठा आरोप है। यह परसेप्शन इन्होंने इसलिए गढ़ा, उनको लगा कि नरेंद्र मोदी जी की लोकप्रियता बहुत आगे बढ़ गई है। कैसे हम डेंट लगाएं। तो एक मिस इन्फार्मेंशन कैम्पेन चलाया गया है । मैं बताना चाहता हूं कि 2010 में जब हमारे प्रधानमंत्री गुजरात में मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने कहा था कि संविधान को लागू हुए 60 साल हो गए, संविधान का सम्मान करने के लिए संविधान गौरव यात्रा निकाली। प्रधानमंत्री जी ने सुरेंद्र नगर में इस कार्यक्रम में हाथी पर संविधान को रखा और खुद पैदल चले। कुछ पत्रकारों ने पूछा कि मोदी जी आप मुख्यमंत्री होकर पैदल चल रहे है तो उन्होंने कहा कि संविधान मेरे लिए श्रेष्ठ है। उस समय तो कोई कल्पना नहीं थी उनको कि मैं प्रधानमंत्री बनूंगा। संविधान के प्रति इनकी कितनी भावनाएं, कितना कमेटमेंट है। फिर इन्होंने अम्बेडकर सेंटर के उदघाटन अवसर पर कहा कि संविधान नहीं होता तो नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं होता। कितनी बड़ी बात कह दी उन्होंने। फिर जब ये आए 2014 में तो उसके बाद जो 26 नवम्बर का दिन था भारत में कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था। उन्होंने कानून दिवस को संविधान दिवस में परिवर्तित किया। ऐसा कर उन्होंने बाबा साहेब का भी सम्मान किया और संविधान का भी सम्मान किया। दो दिन लोकसभा-राज्यसभा में चर्चा करवाई। 2019 में जब हम 303 सीटों के साथ जीतकर आए तो शपथ लेने से पहले सेंट्रल हाल में मोदी जी ने संविधान को नमन किया। ये कांग्रेस झूठे आरोप लगाकर परसेप्शन गढ़ने का प्रयास कर रही है। जनता जानती है कि संविधान का सबसे ज्यादा सम्मान नरेंद्र मोदी जी कर रहे हैं। इंदिरा गांधी जी ने तो प्रस्तावना को ही बदल दिया था। तब तो कोई किसी ने कुछ नहीं बोला। हमारे लोकसभा की अवधि 5 साल है। इंदिरा जी ने अपने पीरियड में 6 साल कर दिया। तब भी कोई कुछ नहीं बोला। ये किस मुंह से बात कर रहे हैं। इंदिरा जी ने 29 बार संविधान में संशोधन किए हैं। इमरजेंसी के समय तो संविधान में इस हद तक बदलाव किए गए कि अंग्रेजी में इसे ‘कंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया’ की जगह ‘कंस्टीट्यूशन ऑफ इंदिरा’ कहा जाने लगा था. इंदिरा गांधी ने एक ही संशोधन में 40 अनुच्छेद तक बदल दिए थे।