रामनवमीं के दिन मंदिर में लगे बड़े लाउडस्पीकर को मस्जिद में अजान शुरू होने पर बंद कर दिया जाता है। दूसरी तरफ हिन्दू पर्व पर मस्जिद के आगे से गुजरने वाले सभी श्रद्धालुओं की सेवा की जाती है। उन्हें शरबत पिलाया जाता है। आम दिनों में मंदिर में एक तरफ भजन-कीर्तन चलता रहता है तो दूसरी ओर 50 मीटर दूरी पर स्थित मस्जिद में अजान भी होती रहती है।
यहां लोग आपस में मिल-जुलकर प्यार से रहते हैं। लोगों की कोशिश है कि दूसरों की धार्मिक भावनाओं का भी ख्याल रखा जाए। मस्जिद के चेयरमैन फैसल इस्लाम कहते हैं कि राम नवमी के समय मंदिर जाने के लिए धूप में लगे लोगों को हमने शर्बत पिलाया। मंदिर में दिनभर भजन-कीर्तन बजता है, लेकिन अजान के वक्त बंद हो जाता है। यह सम्मान दिखाने का तरीका है और आपसी सद्भाव है।
तो वहीं महावीर मंदिर के चेयरमैन किशोर कुनाल कहते हैं कि न हमें अजान से कोई समस्या है, न उन्हें भजन-कीर्तन से कोई परेशानी है। हमने अपना भाईचारा बरकरार रखा है और एक-दूसरे की मदद करते रहते हैं। लाउडस्पीकर विवाद के दौरान बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर एक स्पष्ट रुख बनाए रखा है और बार-बार दोहराया है कि उनकी सरकार कभी भी “ऐसी राजनीति में शामिल नहीं होगी” या किसी भी धर्म में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्णिया में बिहार के मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर पाबंदी लगाये जाने के पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि यह फिजुल की बात है। सभी को अपना धर्म मानने का पूरा अधिकार है। बिहार में ये सब चलने वाला नहीं है, धर्म के मामले में कोई हस्तक्षेप बर्दास्त नहीं। बिहार में हमलोग किसी भी धर्म के मामले में हस्तक्षेप नहीं करते हैं।