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Pariksha Pe Charcha 2022: पीएम मोदी ने कहा- कॉम्पटीशन से घबराएं नहीं, ये जिंदगी को आगे बढ़ाने का माध्यम है

Pariksha Pe Charcha 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘परीक्षा पे चर्चा’ (PCC) कार्यक्रम के तहत छात्र-छात्राओं से बातचीत कर रहे हैं। सुबह 11 बजे शुरू हुए इस कार्यक्रम का यह पांचवां सत्र है। पीएम मोदी इस कार्यक्रम के जरिए से छात्रों के मन में परीक्षा को लेकर बैठे भय और तनाव को दूर करने की कोशिश करते हैं।

Apr 01, 2022 / 01:28 pm

धीरज शर्मा

Pariksha Pe Charcha 2022 Udpates PM Modi Interact With Students Today

देशभर के छात्र-छात्राएं हर वर्ष परीक्षा का समय आते ही तनाव डर के साए में जीने लगते हैं। ऐसे ही छात्र-छात्राओं की इस समस्या को दूर करने और उनमें आत्मविश्वास जगाने के मकसद से हर वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) खुद ‘परीक्षा पे चर्चा’ (Pariksha Pe Charcha) कार्यक्रम के जरिए देशभर के स्टूडेंट्स से रूबरू होते हैं। इस कार्यक्रम का ये पांचवा वर्ष है। शुक्रवार एक अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के तालटकटोरा स्टेडियम में छात्र-छात्राओं से परीक्षा पे पर्चा की। इस बार का स्लोगन ‘परीक्षा की बात, पीएम के साथ’ रखा गया है। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा- एग्जाम में अगर त्योहार नहीं मना पाते हैं तो परीक्षा को ही त्योहार बना दें।
ये अच्छी बात कही खुशी से हो रही शुरुआत

पीएम मोदी से सबसे पहले खुशी नाम की छात्रा ने अपना सवाल किया। इस पर पीएम मोदी ने कहा कि ये अच्छी बात है कि खुशी से शुरू हो रहा है, हम चाहते हैं कि खुशी से शुरू हो और खुशी पर खत्म।



खुशी ने पूछा- जब हम घबराहट की स्थिति में होते हैं तो तैयारी कैसे करें?

– आप पहली बार तो एग्जाम नहीं दे रहे हैं, आप कई परीक्षाएं दे चुके हैं। इतना बड़ा समंदर पार करने के बाद किनारे पर पहुंचने डर हो ये ठीक नहीं है। परीक्षा जीवन का एक सहज हिस्सा। इस पड़ाव से हमें गुजरना है और हम अच्छे गुजरेंगे भी।

– हम कई बार एग्जाम दे चुके हैं। एग्जाम देते-देते अब हम एग्जाम प्रूफ हो चुके हैं। अपने परीक्षा के अनुभवों को अपनी ताकत बनाएं।

– दूसरा आपके मन में जो पैनिक होता है क्या ये तो नहीं है कि प्रिपेडनेस में कमी है। जो किया है उसमें विश्वास भरके आगे बढ़ना है। कभी-कभी कुछ कमी रह जाती है,लेकिन जो हुआ है उसमें मेरा आत्मविश्वास भरपूर है तो वो बाकी चीजों में ओवरकम कर जाता है।
– आप इस दबाव में ना रहें कि आपसे कुछ छूट रहा है। जितनी सहज दिनचर्या आपकी रहती है। उतनी ही सहज दिनचर्या में आप आने वाले परीक्षा के दिनों को भी बिताएं।
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आपनी एग्जाम खुद लीजिए

पीएम मोदी ने कहा कि मैंने अपनी किताब में एक जगह लिखा है- हे डीयर एग्जाम, तुम क्या समझते हो, मैंने इतनी पढ़ाई की है, मैं इतनी तैयारी की है, तुम कौन होते हो मेरा मुकाबला करने वाले? तुम कौन हो मेरी एग्जाम लेने वाले, मैं तुम्हारी एग्जाम लेता हूं। तुम मुझे नीचे गिराकर दिखाओ, मैं तुम्हें नीचे गिराकर दिखाता हूं। एक बार रिप्ले करने की आदत बनाएं इससे नई दृष्टि मिलेगी।


बातों का रिप्ले करें, नई चीजें समझने में आसानी होगी

टीचर से जो सीखा है, उसे खुद टीचर बनकर तीन दोस्तों को सिखाएं। फिर वो दोस्त अपने तीन दोस्तों को सिखाएंगे। जब आप लोग रिप्ले करेंगे इस बात को तो आपको कई नई चीजें समझ में आने लगेगी।

कॉम्पटीशन, जिंदगी को आगे बढ़ाने का माध्यम है

कॉम्पटीशन को निमंत्रण दें। क्योंकि जिंदगी में प्रतियोगिता नहीं होगी तो जिदंगी नीरस होगी। अगर कोई चुनौती ही नहीं तो फिर जीवन में क्या रंग। कॉम्पटीशन ज्यादा है तो अवसर भी अनेक हैं। जो रिस्क लेता है, नए प्रयोग करता है वो आगे बढ़ता है।

हमें गर्व करना चाहिए हम इतनी प्रतिस्पर्धा के बीच खुद को प्रूव कर रहे हैं। हमारे पास स्पर्धा की कई चॉइस हैं। हम इसको अवसर मानें और ये सोचें कि मैं इस अवसर को छोडूंगा नहीं।

मोटिवेशन का कोई इंजेक्शन नहीं, अपनी निराशा से खुद लड़ें और मात दें

लोग सोचते हैं कि मोटिवेशन का कोई इंजेक्शन मिल जाए तो काम बन जाए। लेकिन ये गलत सोच है। पहले उन बातों को सोचें कि ऐसी कौनसी बातें हैं जिससे आप डीमोटिवेट हो जाते हैं। खुद को जानना और उसमें भी वो कौनसी बातें है जो मुझे हताश और निराश कर देती है।

उसको एक बार नंबर बॉक्स में डाल दें फिर आप कोशिश कीजिए, जो सहज रूप से आपको मोटिवेट करती है उनको पहचान लें। मान लीजिए आपने कोई अच्छा गाना सुना जिसके शब्दों की गहराई सोची। जिससे आप सोचेंगे कि इस तरह भी सोचा जा सकता है।

तब आप समझेंगे कि ये आपके काम की चीज है इससे आप मोटिवेट हो जाएंगे। बार-बार किसी को ये मत कहो ये मेरा मूड नहीं। इससे आप में वीकनेस पैदा होगी। आपको सिम्पेथी की जरूरत महसूस होगी। ये कमजोरी आप में विकसित होती जाएगी।

कभी भी सिम्पेथी गेन करने की ओर ना बढ़ें। जो निराशा आएगी उससे मैं खुद लड़ूंगा और इसको मैं खुद मात दूंगा। ये विश्वास अपने आप में पैदा करें। हम किन चीजों को ऑब्जर्व करते हैं। कभी-कभी कुछ चीजों को ऑब्जर्व करने से भी हमें प्रेरणा मिलती है।

अपनी आशा-अपेक्षा बच्चों पर ना थोपें

टीचर और पैरेंट्स का दबाव आप लोगों पर बढ़ रहा है। मैं पैरेंट्स और टीचर्स को जरूर कहूंगा कि आप जो सपने आपके अधूरे रह गए हैं उन्हें बच्चों पर ना थोपें। आप अपने मन की बातों को अपने सपनों को अपनी अपेक्षाओं को अपने बच्चे में इंजेक्ट करने की कोशिश करते हैं।

बच्चा आपको रिस्पेक्ट करता है। मां-बाप की बात को महत्व देता है, दूसरी तरफ टीचर कहते हैं हमारी तो ये परंपरा है। लेकिन आपका मन कुछ और ही कहता है। ऐसे में बच्चों के लिए दोनों को मैनेज करना मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि पहले की जमाने में टीचर का परिवार से सीधा संपर्क होता था। ऐसे में शिक्षा चाहे स्कूल में हो या फिर घर में हर कोई एक ही प्लेटफॉर्म पर होता था।

जब तक चाहे पैरेंट्स हों या टीचर हों हम बच्चे के शक्ति और उसकी सीमाएं, उसकी रुचि और प्रवृत्ति, उसकी अपेक्षा और आकांक्षा को बारीकी से नहीं देखते तो रोशनी जैसे बच्चे लड़खड़ा जाते हैं। अपने मन की आशा-अपेक्षा को बच्चों पर ना थोपें।

आपको ये मानना होगा कि, बच्चे को परमात्मा ने किसी विशेष शक्ति के साथ भेजा है, ऐसे में ये आपकी (टीचर और पैरेंट्) कमी है कि आप इसको पहचान नहीं पा रहे हैं।
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‘खिलने’ के लिए ‘खेलना’ बहुत जरूरी

पहले हमारे यहां खेलकूद एक्स्ट्रा करिकुलम माना जाता था, लेकिन नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में इसे शिक्षा का हिस्सा बनाया गया है। खिलने के लिए खेलना बहुत जरूरी है। बिना खेले कोई खिल नहीं सकता। टीम स्पीरिट आती है, साहस आता है। जो काम हम किताबों से सीखते हैं वो खेल के मैदान में आसानी से सीख सकते हैं। इन दिनों खेलकूल में जो रूचि बढ़ रही है।

20वीं सदी की नीतियों से 21वीं सदी में नहीं जी सकते

पीएम मोदी ने पूछा- क्या हम 20वीं सदी की नीतियों के साथ 21वीं सदी का निर्माण कर सकते हैं। पुरानी सोच, पुरानी नीति के साथ कभी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। तो हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी व्यवस्थाओं को सारी नीतियों को ढालना होगा।

देश के भविष्य के लिए बनी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी

एक छात्र के सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि, दुनिया में शिक्षा की नीति निर्धारण में इतनेलोगों को इन्वॉल्मेंट हुआ होगा, ये अपने आप में वर्ल्ड रिकॉर्ड है। 2014 से हम इस काम पर लगे थे। 7 साल तक खूब ब्रेन स्टॉर्मिंग हुआ। शहर से लेकर गांव तक सबके विचार और विमर्श हुआ। देश के विद्वानों से भी चर्चा की गई है।

साइंस और टेक्नोलॉजी से जुड़े लोगों के नेतृत्व में इसकी चर्चा हुआ। एक ड्राफ्ट तैयार हुआ और उस ड्राफ्ट को फिर लोगों में भेजा गया, जिस पर 20 लाख तक इनपुट आए। उसके पाद एजुकेशन पॉलिसी आई है।


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इस पॉलिसी का राजनीतिक दलों ने विरोध किया। लेकिन मेरे लिए खुशी की बात है, कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का हिंदुस्तान के हर तबके में पूर जोश स्वागत हुआ। इसलिए इस काम को करने वाले सब, अभिनंदन के अधिकारी है। लाखों लोग हैं जिन्होंने इसे बनाया ना कि सरकार ने इसे तैयार किया। ये देश के भविष्य के लिए बनाया गया है।

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का असर अब दिखने लगा है। हम जितना बारीकी से नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को समझेंगे और प्रत्यक्ष में इसको धरती पर उतारेंगे। इसके मल्टिपल रिजल्ट आपके सामने होंगे।


माध्यम नहीं मन है बड़ी समस्या
अपने आपको पूछिए जब आप ऑनलाइन रीडिंग करते हैं या रील देखते हैं। हकीकत में दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं। आप अनुभव किए होंगे क्लास में भी आपका शरीर क्लासरूम में होगा आपकी आंखें टीचर की तरफ होगी और कान में एक भी बात नहीं जाती होगी, क्योंकि मन कहीं और है। ऐसे में सुनना ही बंद हो जाता है।

जो चीजें ऑफलाइन होती है, वहीं चीज ऑनलाइन भी होती है। ऐसे में माध्यम समस्या नहीं है, मन समस्या है। माध्यम ऑनलाइन हो या ऑफलाइन अगर मेरा मन उसमें डूबा हुआ है तो आप कभी भटकेंगे नहीं।
ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान भटकने से बचने के लिए ऑनलाइन टूल्स का उपयोग करें।


कोरोना के चलते मैं अपने साथियों से मिल नहीं पाया, इसलिए मेरे लिए ये कार्यक्रम ज्यादा अहम है। मुझे नहीं लगता परीक्षा का आपको कोई टेंशन होगा? अगर तनाव होगा तो आपके माता-पिता को होगा।

एक नया साहस करने जा रहा हूं

इस बार नया साहस करने वाला हूं। मैं एक काम करूंगा इस बार आज जितना हो सकता है, समय की सीमा में हम बात करेंगे। समय मिला तो वीडियो के माध्यम से या फिर ऑडियो के जरिए या फिर नमो एप पर चर्चा करूंगा। जो चीजें यहां छूट गई हैं। नमो ऐप पर एक माइक्रो साइट बनाई है।
कार्यक्रम की शुरुआत केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही। उन्होंने पीए मोदी का धन्यवाद दिया कि वे बच्चों के तनाव को दूर करने के लिए खुद आगे आते हैं और उनमें आत्मविश्वास जगाते हैं। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि, कोरोना काल से हम निकल आए हैं। स्कूलों की घंटियां दोबारा बजना शुरू हो गई हैं, ये पीएम मोदी के नेतृत्व का कमाल है कि हमने कोरोना काल को सही प्रबंधन के साथ हमने मात दी है।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यूट्यूब पर एक फिल्म है ‘चलो जीतें हम’, पीएम मोदी के छात्र जीवन के साथ सभी बातें उसमें शामिल हैं। परीक्षा से पहले या बाद इस छोटी सी फिल्म को जरूर देखें।
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पीएम मोदी विभिन्न टीचरों से भी संवाद किया। वहीं, छात्र-छात्राओं के अभिभावक भी कार्यक्रम में शामिल हुए वे अपने मन में उठ रहे सवालों को प्रधानमंत्री मोदी से साझा करेंगे।

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कार्यक्रम शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम को लेकर कहा कि, ‘इस वर्ष के परीक्षा पे चर्चा के प्रति उत्साह अभूतपूर्व रहा है। लाखों लोगों ने अपनी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि और अनुभव साझा किए हैं। मैं उन सभी छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने योगदान दिया है। एक अप्रैल के कार्यक्रम की प्रतीक्षा कर रहा हूं।’

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