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Lok Sabha Elections 2024: चुनावी मैदान में 238 बार पटखनी खा चुके हैं पद्मराजन, गंवा चुके हैं लाखों रुपये लेकिन इस वजह से पस्त नहीं पड़ती हिम्मत

Election King Padmarajan Lost 238 Times in Elections: पद्मराजन 238 बार चुनावी जंग में असफल होने के बावजूद एक बार फिर से लोकसभा चुनाव 2024 के मैदान में कमर कसकर उतर चुके हैं। उनके नाम दुनिया में सबसे ज्यादा चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड भी दर्ज हो चुका है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) , पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह और कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से चुनाव हार चुके हैं।

Mar 28, 2024 / 03:13 pm

स्वतंत्र मिश्र

के. पद्मराजन 238 बार चुनाव में हार चुके हैं और अपनी असफलता को लेकर जरा भी चिंतित नहीं हैं। दिलचस्प बात यह है कि वह लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने की तैयारी में जुट चुके हैं। पद्मराजन 65 वर्ष के हैं और वह टायर मरम्मत करने की दुकान चलाते हैं। उन्होंने अपना पहला चुनाव 1988 में तमिलनाडु के मेट्टूर से लड़ा था। मेट्टूर के लोग उनकी इस बात का मजाक उड़ाते हैं। उनके सिर से टोपी निकालकर हवा में उड़ा देते हैं लेकिन पद्मराजन हैं कि द्वारका प्रसाद माहेश्वरी की कविता ‘वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो… कविता को आत्मसात कर हर बार चुनावी मैदान में पूरे जोशोखरोश के साथ भाग लेने के लिए कूद पड़ते हैं। दरअसल वह यह साबित करना चाहते हैं कि लोकतंत्र में चुनाव में हर कोई हिस्सा ले सकता है।

‘चुनाव में भाग लेना ही जीतना है’

पद्मराजन ने इस बारे में मीडिया से बातचीत में कहा कि चुनाव में भाग लेने वाला हर व्यक्ति सिर्फ जीतना चाहता है। वह अपनी मूंछों पर हाथ फिराते हुए मुस्कुराते हैं और कहते हैं, ‘मैं चुनाव में कभी भी जीतने के लिए नहीं खड़ा होता हूं।’ उनका कहना है कि उनके लिए चुनाव में भाग लेना ही जीतना है और जब हार होती है तब मैं खुश हो जाता हूं।’

इस बार धर्मपुरी से चुनाव लड़ेंगे पद्मराजन

लोकसभा चुनाव 2024 इस साल 19 अप्रैल से शुरू होगा और करीब छह हफ्तों तक चलेगा। पूरे देश में सात चरणों में मतदान होंगे। पद्मराजन तमिलाडु के धर्मपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे।

इलेक्शन किंग के नाम से हैं लोकप्रिय

पद्मराजन ‘इलेक्शन किंग’ के नाम से मशहूर हैं और उन्होंने अबतक राष्ट्रपति से लेकर स्थानीय चुनावों तक भाग लिया है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह और कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी से चुनाव हार चुके हैं। वह कहते हैं कि मुझे इस बात से रत्तीभर भी फर्क नहीं पड़ता कि मेरे विपरीत कौन सा उम्मीदवार चुनाव में खड़ा है। मुझे हार और जीत से फर्क नहीं पड़ता।

चुनाव में अब तक गंवा चुके हैं लाखों रुपये

पद्मराजन की चिंता चुनाव जीतने की बजाय अब अपनी हार का सिलसिला आगे बढ़ाने को लेकर है। चुनाव लड़ना कोई सस्ता सौदा नहीं है। वह एक अनुमान से बताते हैं कि तीन दशकों में अब तक नॉमिनेशन पर उनके हजारों डॉलर खर्च हो चुके होंगे। अब उन्हें डिपॉजिट मनी के बतौर 25,000 रुपये का नया झटका लगने जा रहा है। डिपॉजिट मनी तब लौटाई जाती है जब उम्मीदवार कम से कम 16.67 फीसदी वोट हासिल कर ले। वर्ष 2011 में उन्हें सबसे ज्यादा 6,273 वोट प्राप्त हुए थे।

एक भी वोट की उम्मीद नहीं फिर क्यों लड़ते हैं चुनाव?

वह बताते हैं कि उन्हें मतदाताओं से एक वोट भी प्राप्त होने की उम्मीद नहीं रहती। उनकी चाहत यह रहती है कि लोग उन्हें स्वीकार करें। वह टायर मरम्मत की दुकान चलाने के अलावे होम्योपैथी की दवा भी मरीजों को देते हैं। वह एक पत्रिका भी निकालते हैं जिसके वो खुद संपादक भी हैं। उन्होंने अबतक के सभी नामांकण पत्र, पहचान पत्र और असफल उम्मीदवार के बतौर मिले सभी कागजात लैमिनेशन करवा कर संभाल रखे हैं। वह कहते हैं कि असफलता सबसे अच्छी चीज है। वह अपनी आखिरी सांस तक चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन वह यह मानते हैं कि अगर कभी जीत गया तो यह उनके लिए किसी झटके से कम नहीं होगा। वह कहते हैं कि उन्हें हार्ट अटैक आ जाएगा।

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