प्रधानमंत्री ने केंद्रीय सिविल सेवा (सीसीएस) नियमों का हवाला देते हुए केंद्रीय सचिवों को कर्मचारियों का मूल्यांकन करने को कहा है। उन्होंने चुनावी सफलता का हवाला देते हुए कर्मचारियों के खिलाफ आई शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करने को कहा ताकि प्रशासनिक प्रक्रिया को पारदर्शी और बेहतर बनाया जा सके। मोदी ने कहा कि काम करने वाली और ईमानदारी सरकार को जनता चुनावों में इनाम देती है।
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फाइलें एक से दूसरी डेस्क पर न धकेलेंः मोदी
-सूत्रों के अनुसार, मोदी ने अधिकारियों और मंत्रियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि वे फाइलों को एक डेस्क से दूसरी डेस्क पर धकेलने की बजाय शीघ्रता से समाधान किया जाए।-पीएम ने अधिकारियों से शिकायतों का समाधान करने के लिए हर सप्ताह एक दिन का समय निकालने और राज्य के मंत्रियों से उनकी निगरानी करने को भी कहा।
-मंत्रालयों में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को जनता के जीवन का आसान बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए। शिकायतों पर त्वरित एक्शन होना चाहिए।
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-मोदी ने कहा कि ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को चिह्नित कर उन्हें सेवा से बाहर करने की जरूरत है, जिनका आचरण सेवा नियमावली के विपरीत हो।
-मोदी ने बताया कि पिछले 10 साल में पीएमओ को शिकायतों के 4.5 करोड़ पत्र मिले। जबकि, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के अंतिम कार्यकाल में केवल पांच लाख पत्र मिले थे।
तीन महीने का नोटिस या वेतन
सीसीएस (पेंशन) नियमों के मौलिक नियम 56 (जे) के अनुसार अगर सरकारी कर्मचारी सेवा में बने रहने के अयोग्य है तो उसे रिटायर किया जा सकता है। ऐसे मामले में सरकार को तीन महीने का नोटिस देना होगा या तीन महीने का वेतन और भत्ते देकर रिटायर कर सकते हैं।सीसीएस नियम 48 से होगी कार्रवाई
सीसीएस (पेंशन) नियम के अनुसार, 55 साल पूरी कर चुके कर्मचारी प्रभावित हो सकते हैं। नियम 48 के अनुसार, किसी सरकारी कर्मचारी की 30 वर्ष की सेवा पूरी हो चुकी है तो उसे किसी भी समय नियोक्ता द्वारा सार्वजनिक हित में रिटायर किया जा सकता है।500 से ज्यादा किए जा चुके हैं रिटायर
रिटायर किए गए कर्मचारियों को अपना पक्ष रखने का मौका भी मिलेगा। वे रिटायरमेंट के आदेश को अदालतों में चुनौती भी दे सकते हैं। सरकार अब तक 500 से अधिक सरकारी कर्मचारियों को जबरन रिटायर कर चुकी है।क्यों हो जाते हैं भ्रष्ट-निकम्मे
-एक बार नियुक्त होने के बाद सरकारी कर्मचारियों को नौकरी जाने का खतरा महसूस नहीं होता। क्योंकि, उन्हें पता है कि पूरा सिस्टम ही भ्रष्ट है। कार्रवाई कौन करेगा?-काम के मूल्यांकन का कोई तार्किक पैमाना नहीं है। वेतन वृद्धि और पदोन्नति नौकरी की अवधि, अधिकारी के साथ संबंध और आरक्षण के आधार पर मिलती रहती है।
-भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई तब तक नहीं होती जबतक रंगे हाथ पकड़ा नहीं जाता है। पकड़े जाने के बाद भी मुकदमे की अनुमति जल्दी मिल पाती। मामला सुलटा लिया जाता है।