‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद इसके प्रस्तावों से जुड़ी प्रतियां प्रसारित की गई हैं। इन नए प्रस्तावों के मुताबिक, देश में एक साथ चुनाव कराने का कार्यक्रम 2034 तक जमीन पर लागू नहीं हो सकेगा। जानकारी के मुताबिक बताया जा रहा है कि इस फैसले के बाद जल्द एक व्यापक विधेयक आने की उम्मीद है।
विधेयक में पारित प्रस्ताव
पारित विधेयक के मुताबिक यदि लोकसभा या किसी विधानसभा को उसके पूर्ण कार्यकाल से पहले भंग कर दिया जाता है, तो मध्यावधि चुनाव केवल उस सदन के बचते हुए कार्यकाल को पूरा करने के लिए होंगे। इसका मतलब यह होगा कि एक नई पांच साल की अवधि की शुरुआत नहीं होगी, और केंद्र तथा राज्यों में चुनावों का एक साथ होने वाला पांच साल का समय-निर्धारण हर स्थिति में सुनिश्चित किया जाएगा।
शामिल होगा नया अनुच्छेद
विधेयक में एक नए अनुच्छेद 82ए को शामिल करने का प्रस्ताव है जिसके मुताबिक, लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव और अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि), अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों की अवधि) और अनुच्छेद 327 में (विधानमंडलों के चुनाव के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति) में संशोधन किया जाना है।
बैठक के लिए जारी होगी अधिसूचना
इस विधेयक के कानून बनने पर आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख पर राष्ट्रपति की तरफ से एक अधिसूचना जारी की जाएगी और अधिसूचना की उस तारीख को नियत तिथि कहा जाएगा। नियत तिथि का कार्यकाल
प्रस्ताव के मुताबिक, ‘‘इसके बाद, लोकसभा और विधानसभाओं के सभी आम चुनाव एक साथ कराए जाएंगे।’’
2034 में लागू हो सकेगा ‘एक देश एक चुनाव’
यह ‘नियत तिथि’ 2029 के लोकसभा चुनाव में तय होगी। इस लिहाज से 2034 में एक देश-एक चुनाव की व्यवस्था लागू हो सकेगी। विधेयक में कहा गया है कि लोकसभा या विधानसभा के पूर्ण कार्यकाल से पहले भंग होने की स्थिति में बचे हुए कार्यकाल की शेष अवधि के लिए ही चुनाव होगा।