OLD vs NEW Tax Regime कौनसी ज्यादा फायदेमंद? समझें आसान भाषा में
OLD vs NEW Tax Regime: निवेशकों के साथ होम लोन-एचआरए क्लेम करने वालों के लिए ओल्ड रिजीम फायदेमंद, स्टैंडर्ड डिडक्शन बढऩे, स्लैब रेट बदलने से कम आय वाले वेतनभोगियों के लिए न्यू रिजीम अच्छा
OLD vs NEW Tax Regime: मोदी सरकार के आम बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50,000 रुपए से बढक़र 75,000 रुपए होने और टैक्स स्लैब में बदलाव होने से नई टैक्स रिजीम कम आय वाले लोगों के लिए और अधिक आकर्षक हो गई है। टैक्स एक्सपर्ट नितेश बुद्धदेव ने बताया कि 7.75 लाख रुपए तक आय वाले आंख मुंदकर नई टैक्स रिजीम चुनें, क्योंकि इसमें उन्हें जीरो टैक्स देना होगा। लेकिन सालाना 7.75 लाख से अधिक आय वाले टैक्सपेयर सभी नफा-नुकसान का आकलन कर टैक्स रिजीम चुनें।
विशेषज्ञों के मुताबिक, जो टैक्सपेयर निवेश करते हैं यानी जो सेक्शन 80सी का लाभ लेते हैं, एनपीएस, यूलिप, हेल्थ इंश्योरेंस आदि में जिनका निवेश है और जो एचआरए का दावा करते हैं और जिन्होंने होम लोन लिया हुआ है, उनके लिए पुरानी टैक्स रिजीम अभी भी फायदेमंद है। क्योंकि ओल्ड रिजीम में कई तरह की टैक्स छूट और डिडक्शन का लाभ मिलता है। लेकिन नई रिजीम में केवल स्टैंडर्ड डिडक्शन और नियोक्ता की ओर से कर्मचारियों के बदले एमपीएस में अंशदान पर टैक्स छूट मिलती है।
ओल्ड रिजीम: हर हाल में 31 तक भरें रिटर्न
जो टैक्सपेयर वित्त वर्ष 2023-24 (असेसमेंट ईयर 2024-25) के लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत अपना आइटीआर भरना चाहते हैं, उन्हें हर हाल में 31 जुलाई, 2024 तक आइटीआर दाखिल करना होगा। इसमें चूकने पर पुरानी टैक्स व्यवस्था का लाभ नहीं मिलेगा और नई टैक्स प्रणाली (न्यू टैक्स रिजीम के आधार पर इनकम टैक्स की गणना की जाएगी। 31 जुलाई के बाद टैक्सपेयर्स को जुर्माने के साथ 31 दिसंबर तक विलंबित आइटीआर दाखिल करने का मौका दिया जाता है, लेकिन विलंबित आइटीआर दाखिल करने पर किसी डिडक्शन या छूट का लाभ नहीं ले सकेंगे।