दरअसल, इस बार कांग्रेस ने विपक्ष को डिप्टी स्पीकर पद देने की मांग की है। वहीं एनडीए के भीतर भाजपा अपना स्पीकर बनाने को तैयार दिख रही है। डिप्टी स्पीकर को लेकर सरकार ने अब तक कोई संकेत नहीं दिए हैं। यदि सरकार विपक्ष को डिप्टी स्पीकर का पद नहीं देती है तो स्पीकर के नाम पर सर्वसम्मिति बनाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा। इसके बाद 27 जून को राष्ट्रपति का अभिभाषण होगा, जिस पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की जाएगी। इस दौरान सरकार को घेरने के लिए विपक्ष ज्वलंत मुद्दों को उठाने की रणनीति बना रहा है।
-इन मुद्दों पर सरकार को घेरेगा विपक्ष
-नीट, नीट पीजी, नेट समेत अन्य परीक्षा गड़बड़ी -एग्जिट पोल पर जेपीसी की मांग -अग्निवीर को समाप्त करने की मांग -तीन न्याय संहिता को लागू होने से रोकने की मांग
विपक्ष एकजुट होने को तैयार इंडिया गठबंधन अपने मुद्दों को उठाने के लिए संसद में एकजुट होने को तैयार है। इसको लेकर संसद में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अगुवाई में नियमित बैठकें हो सकती है।
नहीं दिखेंगे ये चेहरे सोनिया गांधी, अधीर रंजन चौधरी, स्मृति ईरानी, मेनका गांधी, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, ब्रजभूषण शरण सिंह, अर्जुन मुंडा लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। ढाई दशक बाद पहला मौका होगा, जब कांग्रेस की सर्वोच्च नेता सोनिया गांधी सदन में नजर नहीं आएंगी। चुनाव की घोषणा से पहले उन्होंने राज्यसभा की सीट जीतकर खुद को रायबरेली सीट से अलग कर लिया था। 20 साल बाद गांधी परिवार से सिर्फ एक सांसद लोकसभा में दिखेगा।
इन नए-पुराने चेहरों पर रहेगी नजर चंद्रशेखर आज़ाद, बांसुरी स्वराज, कृति देव बर्मन, कंगना रनौत, वाइकेसी वाड्यार, राहुल गांधी, शशि थरूर, अखिलेश यादव, महुआ मोइत्रा, इमरान मसूद, निशिकांत दुबे, गौरव गोगोई, अनुराग ठाकुर।
शिवराज की वापसी सोलह साल तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की बीस साल बाद लोकसभा में वापसी हो रही है। वह 2005 में मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से पहले पांच बार लोकसभा चुनाव जीत चुके थे।–
फिर गठबंधन का दौर इस बार किसी एक दल को बहुमत नहीं मिलने से एक दशक बाद देश में फिर गठबंधन का दौर लौट आया है। 1989 से 2014 के बीच 25 साल में पी. वी. नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, एच.डी. देवैगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल ने गठबंधन सरकार चलाई।
मिलेगा विपक्ष का नेता दस साल बाद लोकसभा में विपक्ष का नेता नजर आएगा। सन् 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 44 और 52 सीटें जीत पाई थी। विपक्षी दल का दर्जा हासिल करने के लिए किसी भी दल को न्यूनतम 55 सीटें जीतना जरूरी है। इस बार कांग्रेस को 99 सीटें मिली हैं, लिहाजा विपक्ष का नेता पद उसके पास जाना तय है।
इस लोकसभा में क्या खास -एक दल को नहीं मिला बहुमत -280 सांसद पहली बार चुने गए -पिछले सदन के 216 सांसद फिर जीतकर आए -पिछली बार ज्यादा युवा लोकसभा- औसत आयु 59 के बजाय 56 साल
-पिछली बार की 78 के मुकाबले इस बार 74 महिलाएं सदन में -41 दलों के सांसद – राष्ट्रीय दलों के 346 (64 प्रतिशत), राज्य स्तरीय दलों के 179 (33 प्रतिशत) -48 प्रतिशत सांसदों का पेशा समाज सेवा, 33 प्रतिशत का खेती
पहले दिन ये होगा लोकसभा सत्र के पहले दिन सोमवार को प्रोटेम स्पीकर भर्तहरि महताब अपने पैनल को सांसद पद की शपथ दिलाएंगे। उसके बाद वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्री परिषद में शामिल 58 लोकसभा सदस्यों को सांसद पद की शपथ दिलाएंगे। बाद में अल्फाबेटिकल क्रम में राज्यों के सांसदों को शपथ दिलाई जाएगी। पहले दिन कुल 280 सांसदों का शपथ ग्रहण होगा। शेष सांसदों को मंगलवार को शपथ दिलाई जाएगी। स्पीकर का चुनाव बुधवार को होगा तथा गुरुवार को संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का अभिभाषण होगा।