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No Cost EMI: फ्री में कुछ नहीं मिलता! नो-कॉस्ट ईएमआई पर खरीदारी ‘जीरो कॉस्ट’ नहीं, यहां समझें पूरा गणित

No Cost EMI: त्योहारों की शुरुआत होने वाली है। खुदरा विक्रेता ग्राहकों को आकर्षक ऑफर और छूट से साथ नो-कॉस्ट ईएमआई पर खरादारी की सुविधा दे रहे हैं।

नई दिल्लीOct 01, 2024 / 08:52 am

Shaitan Prajapat

No Cost EMI: त्योहारों की शुरुआत होने वाली है। खुदरा विक्रेता ग्राहकों को आकर्षक ऑफर और छूट से साथ नो-कॉस्ट ईएमआई पर खरादारी की सुविधा दे रहे हैं। भारत में नो-कॉस्ट ईएमआई पर क्रेडिट कार्ड से खरीदारी का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। लेकिन नो-कॉस्ट ईएमआई जीरो कॉस्ट नहीं है। इसमें कई फीस और एक्स्ट्रा कॉस्ट वसूल किया जाता है। नो-कॉस्ट ईएमआई से खरीदारी पर खर्च होने वाली रकम को 12 महीने तक की अवधि के लिए कई ब्याज मुक्त किस्तों में बांटा जाता है। यह विकल्प आकर्षक है क्योंकि एकसाथ मोटी रकम चुकाने के बजाय आप 3 से 12 माह में बिना ब्याज चुकाए छोटी-छोटी ईएमआई में बड़ी राशि चुकाते हैं।

लागू रहता है सालाना ब्याज

आप जब नो-कॉस्ट ईएमआई का विकल्प चुनते हैं तो किस्त भुगतान पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं लिया जाता है। हालांकि, विक्रेता की ओर से ब्याज माफ नहीं किया जाता है, बल्कि छूट के रूप में पेश किया जाता है। इसके अलावा, कर्जदाता की ओर से वार्षिक ब्याज दर लागू रहती है, जिसका वहन विक्रेता करता है। इसलिए, बिना ब्याज के होने के बावजूद अन्य खर्च और शर्तें हैं, जिनके बारे में नो-कॉस्ट ईएमआई का विकल्प चुनते समय पता होना जरूरी है।

समझें नो-कॉस्ट ईएमआई का गणित

मान लीजिए आपने 62,000 रुपए का फोन नो-कॉस्ट ईएमआइ पर खरीदा
ईएमआई अवधि: 09 माह
वार्षिक ब्याज: 16 प्रतिशत (यह ग्राहक के बदले मर्चेंट चुकाते हैं)
ईएमआई राशि: 6,889 रुपए
कुल ब्याज: 3,939 रुपए (यह राशि एक तरह से ग्राहकों को डिस्काउंट के रूप में मिलता है।)
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लगता है यह चार्ज

प्रोसेसिंग फीस: 235 रुपए (18 प्रतिशत जीएसटी शामिल)
ब्याज पर 18 प्रतिशत जीएसटी: 709 रुपए
यानी आपको 944 रुपए अतिरिक्त चुकाने होंगे

1.5 प्रतिशत एक्सट्रा चुकाना होगा 62,000 का फोन नो-कॉस्ट ईएमआइ पर लेने पर
नो-कॉस्ट ईएमआई के लाभ

-03 से 12 महीने के आसान किस्त पर भुगतान करने का विकल्प।
-लोन की ब्याज दरें ग्राहकों के बदले व्यापारी या मैन्युफैक्चरर चुकाते हैं
-यह नॉर्मल ईएमआई पर खरीदारी से सस्ता।
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इसके नुकसान

-महंगी चीजें खरीदने को करता है प्रेरित जो अफोर्डेबल नहीं हैं।
-यह जीरो कॉस्ट ईएमआई नहीं, इसमें प्रोसेसिंग फीस सहित कई चार्ज और जीएसटी शामिल।

ऐसे समझें फायदा और नुकसान

नो-कॉस्ट ईएमआई में प्रोसेसिंग शुल्क आमतौर पर खरीदारी राशि का करीब 2-3 प्रतिशत होता है। इस शुल्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी भी लगता है। उदाहरण के लिए, अगर आप 20,000 रुपए कीमत का टेलीविजन खरीदते हैं तो विक्रेता अग्रिम भुगतान पर 10 प्रतिशत की छूट दे सकता है, जिससे इसके दाम घटकर 18,000 रुपए हो जाएंगे। पर आप नो-कॉस्ट ईएमआई चुनते हैं तो यह छूट नहीं मिलेगी और किस्तों में पूरे 20,000 का भुगतान करना होगा। साथ ही प्रोसेसिंग शुल्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी भी देना होगा।

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