दरअसल, कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोरोना से उबरे हैं और फिलहाल अपनी कमजोरी से वे जूझ रहे हैं। वो चाहते थे कि नीति आयोग की बैठक में उनका प्रतिनिधित्व डिप्टी सीएम करें, मगर उन्हें बताया गया कि इस बैठक में केवल मुख्यमंत्री ही शामिल हो सकते हैं। ऐसे में बिहार से इस बार कोई प्रतिनिधित्व पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली बैठक में नहीं होगा।
कहा जा रहा है सीएम के स्वास्थ की वजह से पिछले कुछ हफ्ते से जनता दरबार नहीं लगाया जा रहा था। बता दें कि पिछले महीने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तत्कालिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के लिए पीएम मोदी द्वारा आयोजित रात्रिभोज और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे।
पिछले दिनों BJP के साथ नीतीश कुमार के मनमुटाव की खबरें भी सामने आई थीं। नीतिश कुमार के 2020 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन के बावजूद मुख्यमंत्री के रूप में वापसी करने के कुछ ही समय बाद से ही कलह शुरू हो गई थी। वहीं, नीतिश कुमार नीति आयोग की रैंकिंग से भी नाराज ही रहते हैं। सीएम नीति आयोग की समय-समय पर आलोचना भी की है। आयोग द्वारा बिहार राज्य विकास की रैंक में सबसे निचले पायदान पर रखता है।
वहीं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया है। उनका कहना है कि नीति आयोग की 7वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेना उपयोगी नहीं लग रहा है। उन्होंने कहा, “मैं केंद्र सरकार के विरोध के एक मजबूत मार्क के रूप में खुद को बैठक से दूर कर रहा हूं। केंद्र सरकार राज्यों के साथ भेदभाव करती है और भारत को एक मजबूत और विकसित देश बनाने के हमारे सामूहिक प्रयास में समान भागीदारी नहीं निभाती है।”