इस मामले में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की। एडीशनल सॉलिसिटर जनरल सर्वोच्च अदालत में बताया कि, ‘जांच के दौरान कोई भी आपराधिक बात सामने नहीं आई है।
यही नहीं जांच के नतीजों से जुड़ी एक रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में दाखिल कर दी गई है। ये रिपोर्ट संबंधित विभागों को भी भेजी गई है।
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अब इस मामले पर कोर्ट अगले सप्ताह सुनवाई करेगा। माना जा रहा है कि केंद्रीय एजेंसी अगली सुनवाई से पहले स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर सकती है।
क्या है मामला
दरअसल अक्टूबर 2013 में शीर्ष न्यायालय ने एजेंसी को जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने 5 हजार 800 से ज्यादा टेप की गई चर्चाओं की जांच के बाद 14 मुद्दों की पहचान की थी।
यही नहीं जांच के नतीजों से जुड़ी एक रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में दाखिल कर दी गई है। ये रिपोर्ट संबंधित विभागों को भी भेजी गई है।
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अब इस मामले पर कोर्ट अगले सप्ताह सुनवाई करेगा। माना जा रहा है कि केंद्रीय एजेंसी अगली सुनवाई से पहले स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर सकती है।
क्या है मामला
दरअसल अक्टूबर 2013 में शीर्ष न्यायालय ने एजेंसी को जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने 5 हजार 800 से ज्यादा टेप की गई चर्चाओं की जांच के बाद 14 मुद्दों की पहचान की थी।
इससे पहले सीबीआई ने अपनी शुरुआती जांचों में रतना टाटा की मालकियत वाली टाटा स्टील, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और यूनीटेक जैसे कई बड़े नामों को शामिल किया था। इसके बाद कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई थीं। उद्योगपति रतन टाटा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि बातचीत को मीडिया में लीक नहीं किया जाना चाहिए।
जबिक, सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन यानी CPIL की तरफ से दी गई याचिका में ट्रांसक्रिप्ट्स को सार्वजनिक करने की मांग की गई थी।
जबिक, सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन यानी CPIL की तरफ से दी गई याचिका में ट्रांसक्रिप्ट्स को सार्वजनिक करने की मांग की गई थी।