स्वास्थ्य मंत्री की उच्च स्तरीय बैठक
केरल के कोझिकोड में बुखार से हुई दो मरीजों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने निपाह वायरस का अलर्ट जारी कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि राज्य सरकार निपाह वायरस को लेकर गंभीर है। इसके बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने एक उच्च स्तरीय बैठक कर स्थिति की समीक्षा की।
10 राज्यों तक पहुंच चुका है निपाह वायरस
यह जानलेवा वायरस अब तक भारत के 10 राज्यों में फैल चुका है। हाल ही में सामने आए एनआईवी के सीरो सर्वे में पता चला है कि वायरस कई राज्यों तक पहुंच रहा है। पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिकों के निपाह वायरस को लेकर दूसरे सीरो सर्वे में 10 राज्यों के चमगादड़ों में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मिली हैं। रिपोर्ट के अनुसार गोवा, केरल, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल, असम और मेघालय शामिल है।
कैसे फैलता है निपाह वायरस
(How does Nipah virus infection spread)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, निपाह वायरस एक जूनोटिक बीमारी है। यह सक्रमण जानवरों से इंसानों में फैलता है। इसके अलावा यह दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकती है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह वायरस सूअरों जैसे जानवरों में भी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। किसी शख्स की निपाह वायरस की वजह से जान गई, तो उस परिवार के दूसरे सदस्य भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। यह वायरस चमगादड़ों और सूअर के जरिए इंसानों तक फैलता है। यदि इस वायरस से संक्रमित कोई चमगादड़ या सूअर किसी फल का सेवन करता है और उस फल के जरिए भी निपाह वायरस का प्रसार इंसानों में पहुंच जाता है।
निपाह वायरस के लक्षण
(Symptoms of Nipah virus)
निपाह वायरस एसिम्प्टोमैटिक इंफेक्शन से लेकर एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन और घातक इन्सेफलाइटिस तक हो सकता है। इसमें मरीज को बुखार, सिरदर्द, सांस में तकलीफ, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और गले में खराश की शिकायत हो सकती है। कुछ मरीज को चक्कर, बेहोशी, मूड स्विंग और न्यूरोलॉजिकल से जुड़ी परेशानी हो सकती है। यह 24 से 48 घंटे में मरीज को कोमा में पहुंचा सकता है। निपाह वायरस के लक्षण किसी भी इंसान में 5 से 14 दिन के भीतर दिख सकते हैं।
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निपाह वायरस का इलाज और बचाव के उपाय
(Treatment and prevention measures of Nipah virus)
निपाह वायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है। इसकी ना तो कोई दवा या वैक्सीन तैयार हुई है। इस वायरस से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचें। इसके अलावा पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए। सूअरों की देखभाल करने वाले लोगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए। संक्रमित रोगी से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। आमतौर पर शौचालय में उपयोग में आने वाली चीजें, जैसे बाल्टी और मग को खास तौर पर साफ रखें। इसके अलावा अपने पालतू जानवरों को भी संक्रमित जानवरों, संक्रमित इलाकों या संक्रमित व्यक्ति से दूर रखने की। संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सा अधिकारियों को गाउन, टोपी, मास्क, दस्ताने पहनना और हाथों को धोने जैसे उचित सावधानी बरतने की जरूरत है।