एक दौर था, जब फिल्मी पर्दे पर शत्रुघ्न सिन्हा रौबीले अंदाज में ‘खामोश’ बोलते थे तो सिनेमाघरों में तालियां गूंजती थीं। फिल्मों से राजनीति में आए शत्रुघ्न सिन्हा 17वीं लोकसभा के कार्यकाल में हमेशा खामोश रहे। पांच साल में सांसदों ने अपने-अपने इलाके के लोगों के सरोकार, मुद्दे और आवाज लोकसभा में उठाने की कोशिश की, लेकिन 543 सांसदों में से कुछ ऐसे हैं, जिन्होंने संसदीय गतिविधि में न के बराबर भाग लिया। शत्रुघ्न सिन्हा समेत करीब नौ सांसद पांच साल में एक बार भी लोकसभा में नहीं बोले। इनमें नेता-अभिनेता सनी देओल शामिल हैं।
सनी देओल का ‘तारीख पे तारीख’ वाला संवाद काफी लोकप्रिय है। पूरे पांच साल गुजर जाने पर भी गुरदासपुर से भाजपा सांसद सनी देओल के लोकसभा में बोलने की तारीख नहीं आई। अपने निर्वाचन क्षेत्र में भी वह कम नजर आए। चुप रहने वाले सांसदों में बीजापुर (कर्नाटक) से भाजपा के रमेश चंदप्पा जिगाजिनागी शामिल हैं। वह खराब सेहत के कारण ज्यादातर समय सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले पाए।
अतुल राय जेल में रहे, सदन से गैर-हाजिर
घोसी (उत्तर प्रदेश) सीट से बहुजन समाज पार्टी के सांसद अतुल राय 17वीं लोकसभा से नदारद रहे। वह एक मामले में चार साल तक जेल में रहे। मौजूदा लोकसभा के पूरे कार्यकाल में कुछ भी न बोलने वाले अन्य पांच सांसदों में टीएमसी के दिब्येंदु अधिकारी (पश्चिम बंगाल), भाजपा के प्रधान बरुआ (असम), बी.एन. बाचे गौड़ा, अनंत कुमार हेगड़े और वी. श्रीनिवास प्रसाद (तीनों कर्नाटक) शामिल हैं।
प्रदर्शनों में नजर आए, सवाल नहीं पूछा
अटल बिहारी वायपेयी की सरकार में मंत्री रहे शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा छोडक़र टीएमसी में शामिल हो गए थे। अप्रेल 2022 में वह टीएमसी के टिकट पर आसनसोल उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। वह सदन में कई बार नजर आए, विपक्ष के प्रदर्शनों में भी हिस्सा लिया, लेकिन उन्होंने सदन में न कोई सवाल पूछा, न अपने क्षेत्र से जुड़ा कोई मुद्दा उठाया।