कोई दुष्प्रभाव नहीं
पिलिकुल बायोलॉजिकल पार्क के निदेशक जयप्रकाश भंडारी ने बताया कि माइक्रो चिप युक्त एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जानवर की त्वचा के नीचे प्रत्यारोपित किया जाता है। इसमें स्कैनर के साथ एक छोटा रिसीवर होता है। प्रत्येक जानवर का नाम, ट्रांसपोंडर नंबर और जीन इसमें दर्ज होता है। चिप पर दर्ज सीरियल नंबर को सेंसिंग रीडर के जरिए बाहरी रूप से प्राप्त किया जा सकता है। माइक्रो चिप से जानवरों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।
एक महीने में पूरा होगा काम
जंतुआलय के बाघों, शेरों और तेंदुओं में माइक्रो चिप लगाने का काम शुरू किया गया है। लकड़बग्घा, भेडिय़ा, जंगली कुत्ते, भालू, नील गाय और घडिय़ाल जैसे दुर्लभ प्रजातियों का लिंग परीक्षण और पहचान का कार्य किया जा रहा है। बाघ, शेर, तेंदुए और अन्य जानवरों की माइक्रो-चिपिंग जल्द शुरू की जाएगी। यह कार्य एक माह में पूरा कर लिया जाएगा। जानवरों में प्रत्यारोपित माइक्रो चिप विदेश से आयात किया गया है।