राना ने उर्दू साहित्य के लिए मिले साहित्य अकादमी पुरस्कार को 2015 में यह कहकर लौटा दिया था कि देश में असहिष्णुता बढ़ती जा रही है। उन्होंने कसम खाई थी कि वे कभी सरकारी पुरस्कार स्वीकार नहीं करेंगे।
मुनव्वर राना ने मां पर शायरी कर अपना अलग मुकाम बनाया। जब वे मां पर शायरी पढ़ते तो लोगों की आंखें भर आती थी। उन्होंने लिखा कि किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई। मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में मां आई। इसके साथ ही मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आंसू, मुद्दतों मां ने नहीं धोया दुपट्टा अपना.. जैसी शायरी कर राना ने सदा के लिए लोगों के दिलों में जगह बना ली।