रिपोर्ट में कहा गया कि भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश वित्त वर्ष 2028-29 तक बढ़कर जीडीपी के 6.5 प्रतिशत पर पहुंच सकता है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 5.3 प्रतिशत रहा था। इस हिसाब से भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश सालाना आधार पर 15.3 प्रतिशत की दर से बढ़ सकता है। ऐसे में अगले पांच साल में भारत इंफ्रास्ट्रक्चर पर कुल 1.45 लाख करोड़ डॉलर खर्च कर सकता है। इससे देश में निवेश बढ़ेगा और साथ ही उच्च विकास दर जारी रहेगी।
आम धारणा के विपरीत जीडीपी डिफ्रेंशियल के संदर्भ में देखें तो भारत का फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से ही चीन के मुकाबले ज्यादा अनुकूल है। वर्ल्ड बैंक की लॉजिस्टिक सूचकांक रिपोर्ट 2023 में भारतीय बंदरगाहों पर कंटेनरों के रुकने का औसत समय तीन दिन है जबकि संयुक्त अरब अमीरात और दक्षिण अफ्रीका में यह चार दिन, अमेरिका में सात दिन और जर्मनी में 10 दिन है।
भारतीय पोर्ट्स का टर्नअराउंड टाइम 0.9 दिन हो गया है, जो कि अमेरिका में 1.5 दिन, ऑस्ट्रेलिया में 1.7 दिन और सिंगापुर में एक दिन है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय बंदरगाहों के कार्गो ग्रोथ में सात प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है। बड़े सरकारी बंदरगाहों की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत रही।
मॉर्गन स्टेनली ने बताया कि पीएम गति शक्ति के तहत पोर्ट और शिपिंग सेक्टर के लिए 60,900 करोड़ रुपये के 101 प्रोजेक्ट्स की पहचान की गई है। अप्रैल 2023 तक 8,900 करोड़ रुपये की 26 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं; 15,340 करोड़ रुपये की 42 परियोजनाएं विकास के चरण में हैं और 36,640 करोड़ रुपये की 33 परियोजनाओं पर काम शुरू होना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान अक्टूबर 2021 में शुरू किया गया था। इसके तहत रेलवे, हाईवे समेत 16 मंत्रालयों को एक साथ, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया गया था। इसका उद्देश्य किसी परियोजना के लिए सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों में समन्वय स्थापित करना है, जिससे काम तेज गति से हो सके।