विश्व में इस समय सबसे ज्यादा जनसंख्या हमारे देश भारत की है। सरकार की लाख योजनाओं के चलाने के बावजूद अभी तक खास सफलता नहीं मिली है। वहीं, अब असम में बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए राज्य की हिमंता बिस्वा सरकार ने अनोखा तरीका निकाला है। दरअसल, असम सरकार ने सरकारी योजनाओं का लाभ छोटे परिवारों को ही देने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री सरमा ने गुवाहाटी में महिला उद्यमिता अछोनी योजना की शुरूआत करते हुए इस बात की जानकारी दी।
तीन से ज्यादा बच्चे हुए तो नहीं मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ
बता दें कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने सूबे की राजधानी गुवाहटी में मीडिया से बात करते हुए कहा, “असम सरकार ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए एक नई वित्तीय सहायता योजना लेकर आई है। इसके साथ कुछ शर्तों भी है, जिसमें उनके बच्चों की संख्या की सीमा भी शामिल है। शर्त के मुताबिक, सामान्य और ओबीसी श्रेणियों की महिलाएं अगर किसी भी सरकारी योजना का लाभ उठाना चाहती हैं तो उनके तीन से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए। वहीं, अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एससी) की महिलाओं के लिए यह सीमा चार बच्चों की है।
दो बच्चों की नीति पर काम कर रही असम सरकार
बता दें कि फिलहाल असम की हिमंता सरकार राज्य में दो बच्चों की नीति पर काम कर रही है। सरमा ने गुरुवार को मुख्यमंत्री महिला उद्यमिता अभियान (MMU) की घोषणा करते हुए बताया कि यह 2021 में उनकी घोषणा के अनुरूप है कि राज्य सरकार के पास विशिष्ट राज्य-वित्त पोषित योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए दो बच्चों की नीति होगी। हालांकि, एमएमयूए योजना के लिए मानदंडों में फिलहाल ढील दी गई है। मोरन, मोटोक और चाय जनजातियां जो एसटी दर्जे की मांग कर रही हैं, उन पर भी चार बच्चों की सीमा लगाई गई है।
5 लाख महिलाएं होंगी बाहर
सीएम सरमा ने कहा, “इस योजना को बच्चों की संख्या से जोड़ने का तर्क यह सुनिश्चित करना था कि महिलाएं अपने व्यवसाय स्थापित करने के लिए धन का उपयोग करें। अगर एक महिला के चार बच्चे हैं, तो उसे पैसे खर्च करने का समय कहां मिलेगा, बिजनेस करने का समय कहां मिलेगा? वह बच्चों को पढ़ाई कराने में व्यस्त रहेंगी।” ग्रामीण असम में स्वयं सहायता समूहों में शामिल 39 लाख महिलाओं में से बच्चों की संख्या की सीमा के कारण लगभग 5 लाख को योजना से बाहर किए जाने की संभावना है।