बता दें कि क्षतिग्रस्त होने की वजह से राज्य सरकार ने सात महीने पहले इस ब्रिज को आम जनता के लिए बंद कर दिया था। मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार, ओरेवा नाम के एक निजी ट्रस्ट ने सरकार से टेंडर मिलने के बाद मरम्मत का काम शुरु किया था। हाल ही में इस ब्रिज को जनता के लिए खोला गया है। कहा जा रहा है कि रविवार को ब्रिज पर जरूरत से ज्यादा लोग आ गए जिस वजह से वो टूट गया। अब इस हादसे पर मोरबी म्युनिसिपल चीफ ऑफिसर की ओर से बड़ा दावा किया गया है।
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कंपनी ने नगर निगम में इस ब्रिज के फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने के साथ ही इसे लोगों के लिए खोल दिया। कंपनी ने जल्द कमाई शुरू करने के लिए यह कदम उठाया। वहीं नगर निगम के अधिकारियों ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि अभी तक इस ब्रिज को फिटनेस सार्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है। इतना ही नहीं कंपनी को इसे खोलने की अनुमति दी गई है। मोरबी म्युनिसिपल चीफ ऑफिसर संदीप सिंह झाला के मुताबिक उनसे बिना अनुमति ले ही ब्रिज खोल दिया गया था। उनकी तरफ से कोई फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं दिया गया था।
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1 लोगों की भीड़ को पुल पर पहुंचे से क्यों नहीं रोका गया।
2 पुल की क्षमता 100 लोगों की है लेकिन 250 से ज्यादा लोग उस पर पहुंच गए। अचानक पुल पर इतनी भीड़ कहां से आ गई।
3 खबरों के अनुसार, एक निजी कंपनी ने सात महीने तक पुल की मरम्मत का कार्य किया। नगरपालिका से फिटनेस प्रमाणपत्र मिले बिना ही हादसे से चार दिन पहले जनता के लिए खोल दिया गया। बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के पुल को क्यों खोला गया।
4 चश्मदीदों के मुताबिक, पुल खोलने के बाद कर्मचारियों का ध्यान भीड़ की बजाय ज्यादा से ज्यादा टिकट बेचने में लगा हुआ था। मुनाफे के लिए कंपनी ने क्षमता से ज्यादा टिकट बेचे।
5 कंपनी को दोबारा पुल खोलने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला था। इसके बाद भी पुल खोलने का जोखिम क्यों लिया गया।