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इस साल 2020 के बाद सबसे अच्छा रहा मानसून, सामान्य से आठ फीसदी ज्यादा बारिश

Monsoon: देश में मानसून को कृषि के अलावा जलाशयों में जल भंडारण, जलापूर्ति और भूजल स्तर समेत कई दृष्टिकोणों से मानसून पूरे देश के लिए वरदान मन जाता है। इस साल ला नीनो के प्रभाव की वजह से कई राज्यों में इसका बुरा असर भी देखने को मिला।

नई दिल्लीSep 30, 2024 / 09:46 am

Devika Chatraj

Monsoon
देश में इस साल मानसून में सामान्य से लगभग आठ फीसदी अधिक बारिश हुई। एक तरफ जहां उत्तर पश्चिमी भारत, मध्य भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य से अधिक वर्षा हुई, वहीं पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई। मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पूरे देश में 1 जून से 29 सितंबर के बीच औसत बारिश 932.2 मिमी रही। जबकि, दीर्घावधि औसत 865 मिमी है। इस प्रकार यह सामान्य से 7.8 प्रतिशत अधिक है। साल 2020 के बाद यह सबसे अच्छा मानसून रहा है। खासकर पिछले साल सामान्य से कम बारिश के कारण जलाशयों में पानी की कमी इस बार दूर हो गई है।

पिछले सालों से ज्यादा बारिश

उल्लेखनीय है कि साल 2023 में देश में मानसून के दौरान सामान्य से 5.6 प्रतिशत कम (820 मिमी) बारिश हुई थी। साल 2022 में यह सामान्य से 6.5 प्रतिशत अधिक और 2021 में 0.4 प्रतिशत अधिक रही थी। वहीं, 2020 में देश में सामान्य से 10.5 प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी। मध्य भारत पर इस बार इंद्रदेव सबसे अधिक मेहरबान रहे। इस हिस्से में 1,165.6 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य (974.7 मिमी) से 19.6 फीसदी अधिक है। दक्षिणी प्रायद्वीप में 710 मिमी के औसत की तुलना में 811.4 मिमी बारिश हुई यानी 14.3 प्रतिशत अधिक। वहीं, उत्तर पश्चिमी भारत में 628 मिमी वर्षा दर्ज की गई है, जो सामान्य (586.6 मिमी) से 7.1 प्रतिशत अधिक है।
हालांकि, पूर्व तथा पूर्वोत्तर भारत में 1,175 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 1,361.2 मिमी के दीर्घावधि औसत से 13.7 प्रतिशत कम है। इस क्षेत्र में अगस्त (सामान्य से दो फीसदी अधिक) को छोड़कर बाकी तीनों महीने में कमी बनी रही। जून में देश के इस हिस्से में सामान्य से 13.3 प्रतिशत, जुलाई में 23.3 प्रतिशत और सितंबर में अब तक 17.8 प्रतिशत कम वर्षा हुई है।

1 जून से 30 सितंबर तक मानसून

देश में मानसून का मौसम 1 जून से 30 सितंबर तक माना जाता है। दक्षिण पश्चिम मानसून के कारण इन्हीं चार महीनों में सबसे ज्यादा बारिश होती है। कृषि के अलावा जलाशयों में जल भंडारण, जलापूर्ति और भूजल स्तर समेत कई दृष्टिकोणों से मानसून पूरे देश के लिए वरदान है।

मध्य में धीमा पड़ा मानसून

केरल में इस साल मानसून सामान्य से दो दिन पहले 29 मई को ही पहुंच गया था। हालांकि, जून में मानसून की रफ्तार बीच में कुछ धीमी रही और उस महीने देश में सामान्य से 10.9 प्रतिशत यानी 147.2 मिमी ही बारिश हुई। जून में बारिश का दीर्घावधि औसत 165.3 मिमी है, लेकिन दक्षिणी प्रायद्वीप को छोड़कर शेष तीनों हिस्सों में कम बारिश होने से औसत कम हो गया।
बाद में रफ्तार पकड़ते हुए 2 जुलाई तक मानसून पूरे देश में पहुंच चुका था। जुलाई, अगस्त और सितंबर में अच्छी बारिश हुई। जुलाई में उत्तर पश्चिमी हिस्से में सामान्य से 14.3 प्रतिशत और पूर्व तथा पूर्वोत्तर में 23.3 प्रतिशत की कमी के बावजूद पूरे देश में सामान्य से नौ फीसदी अधिक वर्षा दर्ज की गई। इसमें मध्य भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य से क्रमशः 33 फीसदी और 36.5 फीसदी अधिक बारिश का योगदान रहा।

उत्तर पश्चिम में दिखा असर

उत्तर पश्चिम में अगस्त में स्थिति में सुधार हुआ और सामान्य से 30 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई। मध्य भारत में भी सामान्य से 16.5 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। देश का औसत सामान्य से 15.3 फीसदी अधिक रहा। सितंबर में भी मध्य भारत में सामान्य से 33 प्रतिशत और उत्तर पश्चिमी भारत में 29.9 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। इस कारण देश में सामान्य से 12.5 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है।

दिखा ला नीनो का प्रभाव

मौसम विभाग ने बताया था कि इस साल मानसून सीजन के अंत में ला नीनो प्रभाव के कारण ज्यादा बारिश की संभावना है। यही कारण है कि मानसून के वापस लौटने में देरी हो रही है। इसका मतलब है कि देश के कुछ हिस्सों में बारिश का मौसम सामान्य से लंबा खिंच सकता है। आम तौर पर पूरे देश से मानसून 15 अक्टूबर तक वापस लौट जाता है।

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