क्या कहता है नया कानून?
इसमें आगे कहा गया है कि “दाता युग्मक का उपयोग करके सरोगेसी की अनुमति इस शर्त के अधीन है कि सरोगेसी के माध्यम से पैदा होने वाले बच्चे के पास इच्छुक जोड़े से कम से कम एक युग्मक होना चाहिए।” इसमें कहा गया है कि “सरोगेसी से गुजरने वाली सिंगल महिलाओं (विधवा या तलाकशुदा) को सरोगेसी प्रक्रियाओं का लाभ उठाने के लिए अपने अंडाणु या और दाता शुक्राणु का उपयोग करना होगा।”
पहले के कानून में क्या था प्रावधान?
मार्च 2023 में केंद्र द्वारा जारी एक अधिसूचना में सरोगेसी कराने के इच्छुक जोड़ों के लिए दाता युग्मकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था जिसके कारण अदालतों से राहत की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गईं। इन याचिकाओं में मेडिकल रिपोर्टों के आधार पर यह दिखाया गया था कि वे अंडे पैदा करने में असमर्थ थे। अधिसूचना में कहा गया है कि इच्छुक एकल माताएं भी दाता अंडे का उपयोग नहीं कर सकती हैं। कई याचिकाएं प्राप्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को अपनी 2023 की अधिसूचना पर पुनर्विचार करने के लिए कहा।
सरोगेट माताओं का शोषण पर लगे रोक
भारत ने सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम 2021 पारित किया क्योंकि देश अनैतिक प्रथाओं, सरोगेट माताओं के शोषण, सरोगेसी से पैदा हुए बच्चों के परित्याग और मानव युग्मक और भ्रूण के आयात की रिपोर्टों के साथ एक अंतरराष्ट्रीय सरोगेसी केंद्र के रूप में उभर रहा था।
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