इनमें कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत बिट्टू और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी प्रिनीत कौर भी शामिल हैं। इनके अलावा हंसराज हंस (फरीदकोट), सुशील कुमार रिंकू (जालंधर), अरविंद कुमार शर्मा (रोहतक), ज्योति मिर्धा (नागौर) और अनिल एंटनी (पथनमथिट्टा) जैसे नाम भी शामिल हैं। वहीं, अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में आकर जीतने वालों में जितिन प्रसाद (पीलीभीत), ज्योतिरादित्य सिंधिया (गुना) और नवीन जिंदल (कुरुक्षेत्र) शामिल हैं।
कांग्रेस के करीब 47 नेता आए थे भाजपा में दूसरे दलों से आए छोटे-बड़े नेताओं में कांग्रेस के करीब 47 नेताओं के अलावा बसपा के 11, तृणमूल कांग्रेस के 7, बीजू जनता दल के 6, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 4 और समाजवादी पार्टी के 4 नेताओं के नाम शामिल हैं। इनमें से कुल 26 को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया था, जिनमें से 21 चुनाव हार गए।
भाजपा की रणनीति भाजपा ने अपने विस्तार के लिए अन्य पार्टियों के नेताओं को शामिल करने की रणनीति अपनाई थी। हालांकि, इस रणनीति के चलते पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी पैदा हुई। उदाहरण के लिए, गुजरात के साबरकांठा में पूर्व कांग्रेस विधायक की पत्नी शोभना बरैया को उम्मीदवार बनाने के खिलाफ पार्टी नेताओं ने विरोध किया था। हालांकि भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल की।