क्या है बॉस
आईटी मंत्रालय के अधीन कार्यरत सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सी-डैक) ने द्वारा बनाया गया ‘बॉस’ लीनक्स आधारित ओपन एंड फ्री ऑपरेटिंग सिस्टम है, जो डेस्कटॉप, लैपटॉप के साथ प्रिंटर, स्कैनर ऑपरेट करने में मदद करता है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) इसी सिस्टम पर काम करता है। बॉस के नियमित अपडेट वर्जन भी आते हैं। सबसे ताजा अपडेट ‘प्रज्ञा’ पिछले 15 मार्च को ही जारी हुआ है।बॉस और लीनक्स ने ही बचाया
ओपन सोर्स लीनक्स सिस्टम पर काम करने वाले बॉस के कारण ही माइक्रासॉफ्ट ऑउटेज का जितना असर पश्चिमी देशों, ऑस्ट्रेलिया और जापान पर पड़ा है, भारत में उतना असर नहीं देखा गया। भारत में रेलवे टिकटिंग प्रणाली, स्टॉक एक्सचेंज, आधार, जीएसटी, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), एसबीआई सहित अन्य बैंकों में कोर बैंकिंग सेवाए इसी पर आधारित हैं। लेकिन जोखिम से बेपरवाह निजी कंपनियों व अनेक सरकारी संस्थाओं में माइक्रोसॉफ्ट का ओएस काम में लिया जा रहा है। बॉस कई भारतीय भाषाओं में भी काम करता है।रक्षा मंत्रालय में माया ओएस
रक्षा मंत्रालय और सेना के तीनों अंगों में 15 अगस्त 2023 से ‘माया’ ओएस (ऑपरेटिंग सिस्टम) लागू है जिसे 2021 में भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने तैयार किया था।….तो हम कितने आजाद
तकनीकी के इस युग में आम शहरी तकनीक का गुलाम है। यदि तकनीकी विदेशी है तो सोच सकते हैं कि हम कितने आजाद हैं। यदि विदेशी तकनीकी पर निर्भरता रही तो रेल और विमान संचालन, रेलवे-बस टिकट, बैंक सेवा, ऑनलाइन भुगतान, अस्पताल प्रबंधन से लेकर अकाउंटिंग और ऑनलाइन पढ़ाई तक प्रभाविततो सकती है। बॉस जैसे स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम ही हमें सुरक्षित कर सकते हैं।विशेषज्ञ टिप्पणी: मोहनदास पै, पूर्व सीएफओ, इंफोसिस
अपना सर्वर देश में ही रहे, नेटवर्क भी आइसोलेट हों
सॉफ्टवेयर आउटेज की घटना पूरी दुनिया के लिए खतरे की एक घंटी है। क्योंकि, महज 3 फीसदी को छोडक़र दुनिया की शेष सभी तकनीकों का आधार माइक्रोसॉफ्ट अजूर क्लाउड है। आउटेज के कारण जब दुनियाभर के सारे कंप्यूटर बंद हो गए तो मालूम हुआ कि इस निर्भरता में कितना जोखिम है। देश के कारोबारियों और नीति निर्माताओं को भी इस पर विचार करना चाहिए कि हमारा सिस्टम और सर्वर हमारे देश में ही रहे। किसी दूसरे देश में नहीं। सारे डेटा और सूचनाएं भी देश में रहें। तभी हम अपनी आर्थिक और सामरिक हितों को सुरक्षित रख पाएंगे। दुनिया के जो भी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर है वह, केवल दो-तीन वेंडर पर निर्भर है। अगर वह छोटी सी गलती करेंगे तो सारी दुनिया को नुकसान होगा। जैसे, कोविड महामारी के दौरान दुनिया को अहसास हुआ कि 25 फीसदी विनिर्माण चीन में होता है। अगर चीन में कुछ हुआ तो सारे विश्व को उसका नुकसान उठाता पड़ेगा। उसी तरह अगर माइक्रोसॉफ्ट ने कोई गलती की तो, सारी दुनिया को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इसलिए लचीलापन और अतिरेकता (रिडन्डेन्सी) रखनी होगी। दूसरा, एक बार नेटवर्क को आइसोलेट करना होगा ताकि अगर कोई गलती होती है तो दूसरी जगह उसका असर नहीं पड़े। जब भी इस तरह के अपडेट आते हैं तो उसे एकसाथ पूरे विश्व में लागू नहीं करें। उसे चरणबद्ध तरीके से एक-एक कर अलग-अलग देशों में लागू करना होगा। माइक्रोसॉप्ट को भी इसका अहसास हुआ होगा। किसी भी बदलाव को एक प्रोटोकॉल के तहत लागू करना होगा।
क्या है ऑपरेटिंग सिस्टम
(जैसा पत्रिका के राजीव मिश्रा से बातचीत में बताया) ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) कंप्यूटर में मौजूद अन्य सभी प्रोग्रामों को नियंत्रित और मॉनिटर करता है। ओएस सॉफ्टवेयर का एक समूह है जो कंप्यूटर हार्डवेयर संसाधनों का प्रबंधन करता है और कंप्यूटर प्रोग्राम के लिए सामान्य सेवाएं प्रदान करता है। पूरी तरह नहीं सुधरे हालात, 1500 फ्लाइटें रद्दमाइक्रोसॉफ्ट आउटेज के कारण शुक्रवार को मची अफरातफरी के बाद शनिवार सुबह तक भारत में हालात तेजी से सुधरे लेकिन दुनिया के कुछ देशों में शनिवार को भी करीब 1500 फ्लाइटें रद्द करनी पड़ी जिससे हजारों यात्रियों को परेशानी हुई। ब्रिटेन में ट्रेन संचालन और मेडिकल प्रबंधन प्रभावित रहा। शुक्रवार को दुनिया भर में करीब 7000 फ्लाइटें रद्द करनी पड़ी थीं। टेक विशेषज्ञों का कहना है कि हालात पूरी तरह सामान्य होने में करीब एक सप्ताह का समय लगेगा। माइक्रोसॉफ्ट ने कहा है कि आउटेज के कारण दुनिया में करीब 85 लाख डिवाइस प्रभावित हुए।