मोटर वाहनों का पायलट कार्यक्रम, जिसे सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तत्वावधान में विकसित किया गया है, असम और चंडीगढ़ में इस योजना को पायलट आधार पर शुरू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य गोल्डन ऑवर के दौरान सडक़ दुर्घटनाओं के पीड़ितों को समय पर चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) पुलिस, अस्पतालों, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (एसएचए) आदि के समन्वय से पायलट कार्यक्रम के लिए कार्यान्वयन एजेंसी होगी।
पायलट कार्यक्रम के तहत पीड़ित अधिकतम डेढ़ लाख रुपए तक कैशलेस इलाज के हकदार हैं। दुर्घटना की तारीख से अधिकतम सात दिनों की अवधि के लिए प्रति व्यक्ति 1.5 लाख रुपए का कैशलेस इलाज का हकदार होगा। किसी भी श्रेणी की सडक़ पर मोटर वाहन के उपयोग के कारण होने वाली सभी सडक़ दुर्घटनाओं पर यह योजना लागू होगी। आघात और बहुआघात के मामलों के लिए एबी पीएम-जेएवाई पैकेज को सहयोजित किया जा रहा है। उपचार प्रदान करने के लिए अस्पतालों द्वारा किए गए दावों की प्रतिपूर्ति मोटर वाहन दुर्घटना निधि से की जाएगी।
कार्यक्रम को एक आईटी प्लेटफार्म के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा, जिसमें मोर्थ के ईडीएआर एप्लिकेशन और एनएच के ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम की कार्यक्षमताएं शामिल होंगी। पायलट कार्यक्रम के नतीजे के आधार पर पूरे देश में कैशलेस इलाज सुविधा के विस्तार पर विचार किया जाएगा। उधर, डीआईजी टीटीआर गुरदेव चंद शर्मा का कहना है कि सभी जिला पुलिस अधीक्षकों से इस बारे में कहा गया है कि वे इस जानकारी को सभी पुलिस क्षेत्र के अधिकारियों तक पहुंचाएं और योजना के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें।
यह सुनिश्चित करने के लिए सबका सहयोग महत्त्वपूर्ण है कि सडक़ दुर्घटना पीड़ितों को इस योजना के तहत समय पर जीवन रक्षक देखभाल मिले। सडक़ दुर्घटनाओं के लिए त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना और पीड़ितों को निकटतम स्वास्थ्य सुविधा तक तत्काल पहुंचाने के लिए आपातकालीन सेवाओं के साथ समन्वय करना पुलिस का काम होगा। पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दुर्घटना का विवरण ठीक से दर्ज किया जाए, जो योजना के तहत कैशलेस उपचार का लाभ उठाने में सहायता करेगा। इसके अलावा योजना के लिए पीड़ित की पात्रता सुनिश्चित करने के लिए अस्पतालों के साथ घनिष्ठ संपर्क बनाए रखना होगा।
अस्पतालों को दुर्घटना पीड़ितों को तत्काल देखभाल प्रदान करने की आवश्यकता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि वित्तीय चिंताओं के कारण उपचार में देरी न हो। स्वास्थ्य सुविधाओं को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के तहत बीमा कंपनियों या संबंधित अधिकारियों के साथ समन्वय करते हुए योजना के अनुसार नकद रहित उपचार प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। स्वास्थ्य विभाग को बगैर किसी बात की चिंता किए, हादसा पीड़ितों को बेहतरीन इलाज सुनिश्चित करना चाहिए।