‘पब्लिसिटी पाने के लिए कर रहे नापाक हरकतें’
रजा एकेडमी के संस्थापक और अध्यक्ष काइद मिल्लत हाजी मुहम्मद सईद नूरी साहब ने कहा, ‘सदियों से स्थापित दरगाह सुल्तान-उल-हिंद न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी देश की शान के रूप में देखा जाता है। यहां सभी धर्मों के लोग हाजिरी देते हैं और लगाव रखते हैं। 800 साल बाद अब कुछ शरारती तत्वों को यहां भी मंदिर बनाने का ख्याल आने लगा है। कुछ छोटे वकील अपनी सस्ती प्रसिद्धि के लिए ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को निशाना बना रहे हैं। पब्लिसिटी पाने के लिए यह लोग ऐसी नापाक हरकतों में शामिल हो रहे हैं लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि इस तरह के प्रयासों से उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा।’
‘पहले ज्ञानवापी मस्जिद, शाही मस्जिद संभल, और अब दरगाह अजमेर शरीफ…’
जमीयत उलेमा ए अहले सुन्नत बांबे के उपाध्यक्ष शहजादा शेर मीलत मौलाना एजाज अहमद कश्मीरी ने कहा कि कुछ शरारती तत्वों ने देश के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने के लिए सर्वे का ठेका ले रखा है। पहले ज्ञानवापी मस्जिद, फिर शाही मस्जिद संभल, और अब दरगाह अजमेर शरीफ को भी निशाना बना रहे हैं। मेरा सवाल निचली अदालतों के जजों से है कि क्या आपके पास और कोई काम नहीं है? आप फालतू याचिकाओं को स्वीकार कर देश में तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं? इन शरारती तत्वों को बढ़ावा देने से ही संभल का दंगा योजनाबद्ध है।