सारा सामान समेटकर चली गई
कैप्टन की मां ने बताया कि उनकी बहू नोएडा के घर से अपना सारा सामान पैक करके अपने साथ ले गई। जब उनकी बेटी नोएडा गई तब इस बारे में पता चला। मेरा बेटा उनसे प्रेम करता था, लेकिन उन्होंने प्रेम की परिभाषा को तार-तार कर दिया। मेरे पास न बेटा बचा, न बहू और न इज्जत। शहीद के पिता ने मुआवजे को लेकर कहा, इसकी ज्यादातर राशि बहू को मिली। हमे सिर्फ 15 लाख ही मिले।
शहीद के पिता ने की नियमों में सुधार की मांग
शहीद कैप्टन अंशुमन सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह ने सेना के नियम में बदलाव करने की मांग करते हुए कहा कि NOK के लिए निर्धारित मानदंड सही नहीं हैं। उनका कहना है कि वह इस बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी बात की है। उनकी बहू अब उनके साथ नहीं रहती है। शहीद कैप्टन के पिता की मांग है कि NOK की नई परिभाषा तय की जानी चाहिए। यह तय किया जाना चाहिए कि अगर शहीद की पत्नी परिवार में रहती है, तो किस पर कितनी निर्भरता है। अगर शहीद की पत्नी उनके माता पिता के साथ नहीं रहती है क्या इस नियम में बदलाव किया जाना चाहिए।
जानिए क्या है NOK नियम
आइये जानते है क्या होते है NOK नियम। ‘निकटतम परिजन’ का मतलब किसी व्यक्ति के जीवनसाथी, सबसे करीबी रिश्तेदार, परिवार के सदस्य या कानूनी अभिभावक होता है। जब कोई व्यक्ति सेना में भर्ती होता है तो उसके माता-पिता या अभिभावकों को NOK के रूप में सूचीबद्ध करता है। सेना के नियमों के मुताबिक, जब कोई कैडेट या अधिकारी शादी करता है, तो उसके माता-पिता की जगह उसके जीवनसाथी का नाम उसके निकटतम परिजन के रूप में सूचीबद्ध हो जाता है। सेना के नियमों के अनुसार, अगर सेवा के दौरान किसी व्यक्ति को कुछ हो जाता है तो अनुग्रह राशि NOK को सौंपी जाती है।