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दिल्ली विधानसभा में मणिपुर हिंसा पर चर्चा, केजरीवाल सरकार ने कार्यवाही में किया शामिल

Manipur violence: मणिपुर में पिछले 3 महीने से कुकी और मैती समुदाय के बीच हिंसक टकराव जारी है। केंद्र व राज्य सरकार हिंसा को काबू करने में नाकाम रहीं।
 

Aug 17, 2023 / 02:51 pm

Prashant Tiwari

 Manipur violence to discussed in Delhi Assembly by Kejriwal goverment

 

मानसून सत्र के दौरान मणिपुर के मुद्दे पर विपक्ष ने लोकसभा और राज्यसभा में जोरदार हंगामा किया। विपक्ष के बार-बार हंगामा करने के कारण केंद्र सरकार बहस से बच गई। हालांकि, अविश्वास प्रस्ताव के बहाने जरूर इस मुद्दे को उठाया गया। लेकिन लेकिन इस मुद्दे पर अब आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने दिल्ली विधानसभा में मणिपुर हिंसा पर चर्चा करने जा रही है।

17 अगस्त के लिए सदन की कार्यवाही की सूची में इसका जिक्र किया गया है। इस मामले से अवगत अधिकारियों के मुताबिक विधानसभा में खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी चर्चा में हिस्सा लेंगे। इससे पहले मुख्यमंत्री ने 15 अगस्त के भाषण में भी मणिपुर का जिक्र किया था।

दिल्ली विधानसभा में नियम 55 के तहत बहस

मणिपुर में पिछले 3 महीने से कुकी और मैती समुदाय के बीच हिंसक टकराव जारी है। केंद्र व राज्य सरकार हिंसा को काबू करने में नाकाम रहीं। वहीं, इस मुद्दे पर दिल्ली विधानसभा की कार्यवाही की सूची में बताया गया है कि आम आदमी पार्टी के विधायक दुर्गेश पाठक, विनय मिश्रा और कुलदीप कुमार नियम 55 के तहत ‘मणिपुर में अशांति और लोगों पर हो रहे अत्याचार’ के विषय में अल्पकालिक चर्चा में हिस्सा लेंगे। इस चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मौजूद रहेंगे।

 

बिजली-पानी के मुद्दे पर सरकार को घेरा

वहीं, आज विधानसभा के दूसरे दिन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई। भाजपा विधायकों ने सदन में जमकर हंगामा किया। भाजपा विधायकों ने स्पीकर से नियम 280 के तहत अपने विधानसभा क्षेत्रों के मुद्दों को उठाने की इजाजत मांगी। उत्तर पूर्वी दिल्ली के घोंडा से भाजपा विधायक अजय महावर ने दिल्ली सरकार का ध्यान यमुना में आई बाढ़ की ओर खींचा।

उन्होंने बताया कि कैसे उनके निर्वाचन क्षेत्र में मौजूद उस्मानपुर और गढ़ी मांडू में हजारों लोगों को बाढ़ की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। गढ़ी मांडू और उस्मानपुर गांव में बाढ़ आने से दोनों गांव डूब गए और लोगों को बाहर निकालना पड़ा। इन गांवों में हजारों घर बने हैं। 2013 से यहां लोगों को नए वाटर मीटर और बिजली के कनेक्शन नहीं दिए गए क्योंकि अधिकारियों का कहना है कि ये गांव ओ-जोन के तहत आते हैं।’

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