इंटरनेट बैन बढ़ाया गया?
मणिपुर की मौजूदा स्थिति को देखते हुए एक बार फिर से इंटरनेट सेवाओं पर लगे प्रतिबंध को बढ़ा दिया गया है। राज्य सरकार ने 5 जुलाई की दोपहर 3 बजे तक इंटरनेट सेवाओं पर लगी रोक को बढ़ाया गया। एक ऑफिसियल विज्ञप्ति के मुताबिक, जातीय झड़पों और हिंसा से प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध 5 जुलाई को दोपहर 3 बजे तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
इस वजह से बढ़ाया गया इंटरनेट बैन
सरकार के मुताबिक, ऐसी आशंकाएं हैं कि कुछ असामाजिक तत्व जनता की भावनाएं भड़काने वाली तस्वीरें, नफरती भाषण और नफरत से भरे वीडियो संदेश प्रसारित करने के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसी वजह से इंटरनेट पर लगे बैन को बढ़ाया गया है।
8 जुलाई तक स्कूल बंद
राज्य में लंबे वक्त से जारी जातीय हिंसा के कारण बच्चों की पढाई-लिखाई भी काफी प्रभावित हो रही है। उपद्रवी दहशत फ़ैलाने के इरादे से स्कूल को जानबूझ निशाना बना रहे थे। इसी बीच सरकार ने आदेश दिया है की जब तक राज्य में शांति व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो जाती है तब तक स्कूल बंद रहेगा। इसी आदेश में बताया गया है कि 8 जुलाई तक स्कूल बंद रहेगा।
अबतक 135 की मौत, हजार से ज्यादा हथियार बरामद
उपद्रवियों पर की गई कार्रवाई के बाद मणिपुर पुलिस ने बताया की अब तक कर्फ्यू उल्लंघन, घरों में चोरी, आगजनी, बमबारी और गोली चलाने के कारण 135 लोगों की जान जा चुकी है। साथ ही तलाशी अभियान तथा स्वेच्छा से हथियार सौंपने जाने से अब तक लगभग 1100 आधुनिक हथियार, 13702 गोला-बारूद और विभिन्न प्रकार के 250 बम बरामद किए गए हैं।
हिंसा से प्रभावित राज्य के विभिन्न हिस्सों में फ्लैग मार्च, घेराबंदी और तलाशी अभियान जारी है। सुरक्षाबलों ने पिछले 24 घंटो में जिस तरह से कार्रवाई की है, वैसा ही कुछ दिन जारी रहता है तो स्थिति में सुधार देखने को मिल सकता है। लेकिन सुरक्षाबलों को भी तलाशी अभियान के दौरान सतर्कता बरतने की जरुरत है।
पूरा मामला जानिए
बता दें कि, अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 10,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।
लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है, जिस कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक इस हिंसा में 105 लोगों की जान जा चुकी है और 350 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। केंद्र की मोदी और राज्य की बिरेन सरकार अब तक इस मसले पर पूरी तरह विफल दिखी है। लेकिन अब जिस तरह से सेना उग्रवादियों पर कार्रवाई कर रही है, उससे लगता है की इन्हें फ्री हैण्ड दे दिया गया है। अब उम्मीद है की मणिपुर की स्थिति सुधरे।