पुलिस की मौजुदगी में घटना हुई
सैनिक ने आगे कहा, जहां पर यह घटना हुई वहां पुलिस मौजूद थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। मैं चाहता हूं कि उन सभी लोगों को कड़ी सजा मिले, जिन्होंने घर जलाए और महिलाओं को अपमानित किया।” बता दें कि वीडियो सामने आने के एक दिन बाद गुरुवार को मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जैसे ही मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी हुई, गुस्साई भीड़ ने उसके घर को आग के हवाले कर दिया। मणिपुर पुलिस ने बताया कि अन्य दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है, जिसके लिए चप्पे-चप्पे पर छापेमारी जारी है।
कपड़े उतारने को किया मजबूर, पिता और भाई को मार डाला
रिटायर सैनिक ने बताया कि जब यह घटना हो रही थी मैं उन दरिंदों को मेरी पत्नी और अन्य महिलाओं को दूर तक ले जाते हुए देख सकता था।इस भीड़ ने तीनों महिलाओं को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया। जिसमें से एक महिला के गोद में बच्चा भी था। उस महिला को बाद में भीड़ में से कुछ लोगों ने छोड़ दिया, क्योंकि वो उसे जानते थे। दरिंदों की भीड़ छोटी महिला से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रही थी और जब उसके पिता और भाई ने उसे बचाने की कोशिश की, तो उन्हें उसी वक्त मार डाला गया।
भारतीय सेना ने की थी AFSPA की मांग
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के बीच सेना ने AFSPA (आर्म्ड फोर्स स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट) की मांग की थी। मणिपुर में भारतीय सेना और असम राइफ़ल की टुकड़ियां मौजूद हैं। लेकिन AFSPA ना होने की वजह से सेना मणिपुर में लॉ एंड ऑर्डर सम्भाल तो रही हैं लेकिन कोई एक्शन नहीं ले पा रही है। इसलिए इसकी मांग की जा रही है।
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा में 140 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 3000 लोग घायल हैं। हालात पर काबू पाने के लिए मणिपुर में इस समय मुख्यमंत्री के कहने के बाद 3 मई से लेकर अभी तक भारतीय सेना और असम राइफ़ल की कुल मिलाकर 123 टुकड़ियां तैनात की गई हैं। लेकिन आर्म्ड फोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट (AFSPA) ना होने की वजह से पूरी ताकत के साथ सेना मणिपुर में लॉ एंड ऑर्डर सम्भाल तो रही हैं लेकिन कोई कड़ा एक्शन नहीं ले पा रही।
दरिंदगी वाले वीडियो मामले में दो महीने तक पुलिस ने एक्शन क्यों नहीं लिया, अधिकारी ने बताया
पूरा मामला जानिए
बता दें कि, अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 10,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।
लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है, जिस कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक इस हिंसा में 140 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 3000 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। केंद्र की मोदी और राज्य की बिरेन सरकार अब तक इस मसले पर पूरी तरह विफल दिखी है।