आयात शुल्क हटा, पर काबू में नहीं दाम
वहीं, महाराष्ट्र की अकोला मंडी में चना के थोक भाव करीब 700 रुपए बढ़कर 6,950 से 7,000 रुपए क्विंटल हो चुके हैं। जबकि इसी महीने 4 मई को बीकानेर की थोक मंडी में चना 5,789 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा था जो 24 प्रतिशत बढ़कर 7200 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गया है। आयात शुल्क हटने और आवक बढ़ने के बावजूद इसके दाम काबू में नहीं आ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि कमजोर उत्पादन और स्टॉक के कारण लंबी अवधि में चना का भाव 8,000 रुपए प्रति क्विंटल को भी पार कर सकता है। इंडिया पल्सेज एसोसिएशन के सचिव सतीश उपाध्याय ने बताया कि चना का उत्पादन घटने के बीच इसकी मांग काफी मजबूत है। जिससे चना की कीमत लगातार बढ़ रही है।
इसलिए बढ़ी कीमतें
खुदरा बाजार में चना 90 से 100 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। इस साल चने का एमएसपी 5,440 रुपये प्रति क्विंटल है। कमोडिटी एक्सपर्ट इंद्रजीत पॉल ने कहा कि सरकार के पास भी चना का स्टॉक काफी कम है। सरकार भले ही 120 लाख टन चना उत्पादन का दावा करे, लेकिन उद्योग का अनुमान है कि इसका उत्पादन 80 लाख टन के करीब है, जबकि देश में चने की खपत करीब 100 लाख टन है।
और बढ़ेगा भाव?
जानकारों के अनुसार, आगे भी चना महंगा बिकने की संभावना है। सतीश उपाध्याय ने बताया कि, फिलहाल बड़े स्तर पर आयात होने की संभावना भी नहीं है। अगले महीने से तंजानिया से 2 लाख टन चना आयात हो सकता है। ऑस्ट्रेलिया से चना का आयात अक्टूबर-नवंबर में होने की उम्मीद है। भारत की ओर से चना पर आयात शुल्क हटने से आस्ट्रेलिया में चना के दाम 150 डॉलर बढ़कर प्रति टन 900 डॉलर हो गए हैं। शिपिंग खर्च को मिलाकर इस भाव पर आयातित चना घरेलू भाव से भी महंगा पड़ेगा। ऐसे में चने के दाम और बढ़ सकते हैं।