कार्यकारिणी को संतुलित और बेहतर बनाने की चुनौती
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व के सामने युवाओं को आगे बढ़ाने के साथ वरिष्ठ नेताओं का सम्मान बनाए रखना चुनौती भरा है। सीडब्ल्यूसी में खरगे ने खरी-खरी बातें कहते हुए आगे के रोडमैप की ओर इशारा किया है। अगले कुछ दिनों में खरगे अपने कामराज-2 प्लान के तहत सभी राष्ट्रीय पदाधिकारियों से इस्तीफा लेकर या हटाकर संगठन का पुनर्गठन कर सकते हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे कुछ राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों का इस्तीफा भी हो सकता है। कुछ राज्यों में पार्टी की कमान युवा नेताओं के हाथ में हो सकती है। जबकि राज्यों में कुशल रणनीति वाले नेताओं को केन्द्र की राजनीति में बुलाया जा सकता है।– 13 राज्यों की हार ने हिला दिया
कांग्रेस ने पिछले दो साल के दौरान 17 राज्यों के विधानसभा चुनावों में से 13 में करारी हार झेली है। हाल में हरियाणा व महाराष्ट्र की हार से पार्टी नेतृत्व को हिला कर रख दिया है।– उत्तर-दक्षिण संतुलन की चुनौती
फिलहाल पार्टी के अध्यक्ष और संगठन महासचिव जैसे दोनों प्रमुख पद दक्षिण भारत के नेताओं के पास है। जहां कांग्रेस अध्यक्ष खरगे खुद कर्नाटक से हैं, वहीं संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल केरल से आते हैं। इसके चलते उत्तर और उत्तर पूर्व राज्यों के नेता व कार्यकर्ता इनसे मिलने में हिचकिचाते हैं। वेणुगोपाल पर ‘ज्यादा भार’ को लेकर आंतरिक तौर पर जब-तब टिप्पणियां सामने आती हैं। कुछ नेता लंबे समय से संगठन में बने हुए हैं। यह भी पढ़ें