अपनों की फिक्र, सहयोगियों पर फोकस नहीं
शालीमार मार्केट में मिली कॉलेज शिक्षिका अनुप्रिया ने कहा, महाराष्ट्र चुनाव में गठबंधन की राजनीति चुनौती की तरह है। जहां हर दल को ताकत दिखानी होगी। दोनों तरफ तीन-तीन दल हैं। गठबंधन के दलों में परस्पर भी अच्छा प्रदर्शन करने का दवाब है। उन्हें यह भी डर है कि अगर उनके साथ वाली पार्टी ने उनसे अच्छा प्रदर्शन कर दिया तो उनका पत्ता साफ हो जाएगा। इसलिए गठबंधन के दल अपने-अपने दल के प्रत्याशियों को जिताने में ही जोर लगा रहे हैं। सहयोगी दलों के प्रत्याशियों पर उनका फोकस नहीं है। बहनों को लुभाने की होड़
महाराष्ट्र की राजनीति के जानकार रंजनदास गुप्ता की मानें तो महायुति को लाड़ली बहना योजना पर भरोसा है। महायुति ने बहनों को मासिक सहायता राशि 1500 रुपए से बढ़ाकर 2100 रुपए करने का ऐलान किया है। एमवीए ने आगे बढ़कर महिलाओं को 3000 रुपए देने का वादा किया है। एमवीए को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव के बाद माहौल कायम है और उन्हें एंटी इंकमबैंसी का लाभ उसे मिलेगा। आरक्षण का मुद्दा फिलहाल यहां शांत लग रहा है, लेकिन चुनाव में असर दिख सकता है।
नासिक जिले की हॉट सीट
देवलाली: महायुति की बात बिगड़ी
इस सीट पर महायुति का गठबंधन बिखर गया। यहां पहले एनसीपी (अजित) को सीट दी गई है, लेकिन शिवसेना (शिंदे) ने भी अपना प्रत्याशी उतार दिया। एमवीए की ओर से शिवसेना (यूबीटी) के प्रत्याशी मैदान में हैं।
मालेगांव सेन्ट्रल: सभी प्रत्याशी मुस्लिम
इस सीट पर सभी 13 प्रत्याशी मुस्लिम हैं। एआइएमआइएम से मौजूदा विधायक मोहम्मद इस्माइल अब्दुल खालिक फिर प्रत्याशी हैं और एमवीए से कांग्रेस के एजाज अजीज बेग मैदान में हैं। सपा के प्रत्याशी निहाल अहमद ने मुकाबले को कड़ा बना दिया है। महायुति ने यहां प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है। ‘इंडिया’ के दल कांग्रेस और सपा आमने-सामने हैं। 2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को केवल 1450 वोट मिले थे। यहां 90 प्रतिशत से ज्यादा आबादी मुस्लिम है।
येवला: भुजबल कड़े मुकाबले में
येवला सीट पर कुल 13 प्रत्याशी है। इनमें 9 निर्दलीय हैं। यहां मुख्य मुकाबला एनसीपी के छगन भुजबल और एनसीपी (शरद पवार) के प्रत्याशी माणिकराव माधवराव शिंदे के बीच है। सत्ता विरोध रुख के चलते छगन भुजबल कड़े मुकाबले में फंस गए हैं।