रिकॉर्ड रूम में रखे हैं दस्तावेज
रत्न भंडार की संपति को लेकर 1926 में जो सूची बनी थी, वह पुरी कलेक्टोरेट के रिकॉर्ड रूम में रखी हुई है। ओडिशा के गजट में भी इसका प्रकाशन हुआ था, उसमें 837 सामग्री का जिक्र था। सोने की 150 सामग्री बाहरी भंडार में रखे हैं, जिनमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का स्वर्ण मुकुट भी शामिल है। जगन्नाथ जी का मुकुट 610 तोला, बलभद्र जी का 434 और सुभद्रा जी का 275 तोले का है। एक तोला बराबर 11.6638 ग्राम होता है। भीतर भंडार में 180 आभूषण हैं, जिनमें 74 शुद्ध सोने का आभूषण है।डेढ हजार साल पहले का खजाना
- इतिहासकार शरत चंद्र मोहंती ने बताया कि डेढ़ हजार साल पहले ओडिशा कोलकाता से लेकर तमिलनाडु तक फैला था। तब के राजाओं का खजाना रत्न भंडार में रखा है।
- भगवान का रघुनाथ वेश में विशेष श्रृंगार होता था। वह आखिरी बार 1902 में हुआ था। उसके भी आभूषण रत्न भंडार में रखे हुए हैं। तब भगदड़ में 40 साधु-संत मारे गए थे। इसके बाद से यह श्रृंगार नहीं हुआ है।
- उत्कल विश्वविद्यालय से प्रकाशित मदाला पंजी के अनुसार, राजा अनंगभीमा देव ने भगवान जगन्नाथ के गहने बनाने के लिए 2,50,000 सोने के मध दिए थे। एक मध बराबर 5.8319 ग्राम सोना होता है।
- मंदिर के दिगविजय द्वार में उल्लेखित है कि 1466 में गजपति कपिलेंद्र देव ने भारी मात्रा में सोने-चांदी के जेवरात दान किए थे।
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