निकम को टिकट देने की कहानी, पूनम की बेरुखी
उज्ज्वल निकम को टिकट देने का फैसला वैसे तो भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का माना जा रहा है, पर असल में निकम का नाम राज्य के उन भाजपा नेताओं ने बढ़ाया जो खुद राज्य की राजनीति से हट कर दिल्ली नहीं जाना चाहते। इनमें भाजपा की मुंबई इकाई के अध्यक्ष और बांद्रा पश्चिम से विधायक आशीष शेलार, महासचिव मोहित कंबोज, राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े सरीखे नेता शामिल हैं। अब निकम को जिताने का जिम्मा भी इन्हीं पर है। अगर वे ऐसा नहीं कर पाए तो भाजपा में इनकी आगे की राजनीति पर भी असर पड़ सकता है। साथ ही पिछला लोकसभा चुनाव एक लाख तीस हजार से ज्यादा वोटों से जीती पूनम महाजन का टिकट कटने को लेकर उनके समर्थक मुखर तो नहीं हैं, पर खुश भी नहीं हैं। निकम ने पूनम से प्रचार में आने के लिए कहा, पर हामी भरने के बावजूद वे अभी तक निकम के प्रचार में शामिल नहीं हुईं।भाग्य एक दूसरे पर निर्भर
महाराष्ट्र में मुंबई नॉर्थ सेंट्रल लोकसभा सीट पर महा विकास अघाड़ी की तरफ से कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़ राजनीति की मंझी हुई खिलाड़ी मैदान में हैं, तो भाजपा ने वकील उज्ज्वल निकम को प्रत्याशी बनाया है। निकम राजनीति में नए हैं, पर वे काफी चर्चा में रह चुके हैं। पूनम महाजन का टिकट कटने से उनके समर्थक मुखर तो नहीं हैं, पर खुश भी नहीं हैं। कांग्रेस प्रत्याशी इस सीट पर शिवसेना (उद्धव) के सपोर्ट पर निर्भर नजर आ रही है।विवाद के बाद सहमति से वर्षा मैदान में
वर्षा का दावा मुंबई साउथ सेंट्रल सीट से था, पर कांग्रेस-शिवसेना (उद्धव) के बीच सीट शेयरिंग विवाद के बाद उन्हें पड़ोस की इस नॉर्थ सेंट्रल सीट पर शिफ्ट होना पड़ा। वर्षा मुंबई साउथ सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र स्थित विश्व प्रसिद्ध झोपड़पट्टी वाली धारावी विधानसभा सीट से चार बार विधायक और दो बार राज्य में शिक्षा एवं महिला व बाल विकास मंत्री रह चुकी हैं। धारावी को पुनर्विकास के लिए अडानी की कंपनी को सौंपे जाने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ वे खासी मुखर हैं। शिवसेना (उद्धव) ने बिना कांग्रेस से सहमति लिए अनिल देसाई को साउथ सेंट्रल से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। बाद में बातचीत में कांग्रेस को साउथ सेंट्रल की बजाय मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट देने पर सहमति जीत की गारंटी के साथ बनी और कांग्रेस का टिकट वर्षा को मिला। इसी विवाद के चलते संजय निरुपम ने कांग्रेस छोड़ कर शिवसेना (शिंदे) का दामन थामा है।एक-दूसरे पर बड़ी जिम्मेदारी
एमवीए की बात करें तो अब मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट पर कांग्रेस की जीत शिवसेना (उद्धव) और साउथ सेंट्रल सीट पर शिवसेना (उद्धव) के प्रत्याशी अनिल देसाई के जीतने की संभावना कांग्रेस की मदद पर निर्भर है। साउथ सेंट्रल सीट पर देसाई का मुकाबला शिवसेना (शिंदे) के प्रत्याशी राहुल शेवाले से है, जो मौजूदा सांसद हैं। नॉर्थ सेंट्रल सीट पर शिवसेना के दोनों गुटों के वोट काफी संख्या में हैं, जबकि साउथ सेंट्रल में साढ़े चार लाख के करीब मुस्लिम वोट हैं। उद्धव की शिवसेना पर नॉर्थ सेंट्रल में ज्यादा से ज्यादा मराठियों के वोट कांग्रेस की वर्षा को और कांग्रेस पर ज्यादा से ज्यादा मुस्लिमों के वोट शिवसेना उद्धव के प्रत्याशी देसाई के पक्ष में दिलाने का जिम्मा है। इस लोकसभा सीट के तहत आने वाली छह विधानसभा सीटों में से वर्तमान में विले पार्ले और बांद्रा पश्चिम भाजपा के पास है, जबकि भाजपा के सहयोगी शिवसेना शिंदे के पास चांदीवली और कुर्ला सीटें हैं। ये दोनों सीटें एकीकृत शिवसेना ने जीती थीं, पर बाद में ये दोनों विधायक दलबदल करके शिंदे के साथ चले गए। कलिना विधायक उद्धव के साथ रहे। बांद्रा पूर्व सीट कांग्रेस से पास है। ऐसे में राज्य में सत्तारूढ़ महायुति के 6 में से 4 विधायक हैं जबकि एमवीए के दो विधायक हैं। भाजपा के विले पार्ले के विधायक पराग अलावनी उज्ज्वल निकम के साथ जी जान से जुटे हैं, पर पूरा खेल शिवसेना के दोनों गुटों की असल ताकत पर टिका हुआ है।