इसी बीच 27 मार्च को एनडीए गठबंधन में शामिल प्रमुख राजनीतिक दल पीएमके ने अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया। पार्टी ने घोषणा पत्र में नई पीढ़ी को अपनी ओर आकर्षित करने की भरपूर कोशिश की है। पीएमके ने एक तरफ जहां 21 साल से कम उम्र की लड़कियों को विवाह के लिए अभिभावक की सहमति को अनिवार्य करने की बात कही है तो दूसरी तरफ सरकारी एवं निजी क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के वादे किए गए हैं। वन्नियार प्रभुत्व वाले इस दल ने जातिवार जनगणना एवं उच्च वर्ग के गरीब लोगों को अधिक आरक्षण देने के वादे कर जनता के दिल में उतरने की कोशिश की है।
इसके अलावा पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) ने राजस्व में राज्य की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी, मेकेडाटू एवं कावेरी बांध जैसे मुद्दों को शामिल कर जनता को लुभाने की कोशिश की है। पीएमके हाल ही एनडीए से जुड़ा है, जिससे वन्नियार समुदाय के मतदाता एनडीए को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं। पीएमके ने समीकरण बदले हैं।
सीएए भी बना मुद्दा
अन्नाद्रमुक ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार की महिला मुखिया को तीन हजार रुपए मासिक सहायता की घोषणा की है। पार्टी ने जनता को 113 आश्वासन दिए हैं। इसमें उच्चतम न्यायालय की चेन्नई में पीठ की स्थापना, नीट के स्थान पर कोई अप्शनल एक्जाम एवं राज्यपालों की नियुक्ति में मुख्यमंत्रियों से सलाह जैसे कुछ प्रमुख वादे शामिल हैं। इसके अलावा पार्टी ने सीएए के वर्तमान स्वरूप का विरोध भी किया है। साथ ही कोयम्बत्तूर में एम्स, शिक्षा ऋण को माफ करने एवं केंद्र सरकार को तेल की कीमतों को तय करने का काम अपने हाथ में लेने के आश्वासन देकर शिक्षा, स्वास्थ्य एवं बुनियादी क्षेत्र में काम करने का वादा किया है।
राज्यों को अधिकार
सत्ताधारी डीएमके ने पुडुचेरी को पूर्ण राज्य का दर्जा, अनुच्छेद 356 को खत्म करने, अनुच्छेद 361 में संशोधन जैसे वादे किए हैं। राज्यपालों की नियुक्ति के समय राज्य सरकार से परामर्श लेने की बात भी चुनाव घोषणा पत्र में है।