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Lok Sabha Elections 2024 : पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और वामदलों की फिर से खड़े होने की राह कठिन, खिसकते जनाधार और ढीली होती पकड़ से हाशिए पर आए दो दल

Lok Sabha Elections 2024 : पश्चिम बंगाल ही नहीं पूरे पूर्वोत्तर भारत में वामदलों और कांग्रेस को अपने वजूद को बचाए रखने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। पढ़िए विनीत शर्मा की विशेष रिपोर्ट…

Mar 15, 2024 / 09:14 am

Shaitan Prajapat

Lok Sabha Elections 2024 : आधी सदी से ज्यादा समय तक देश की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस और तीन दशक लंबे समय तक शासन की धुरी रहे वाम दल पश्चिम बंगाल में अप्रासंगिक हो चले हैं। बीते लोकसभा चुनाव में भी वामदलों को कोई सीट नहीं मिली थी, जबकि कांग्रेस महज दो सीटों पर ही अपना जलवा दिखा पाई थी। दोनों दलों का एक भी प्रतिनिधि विधानसभा में भी नहीं है। खिसकते जनाधार और मतदाताओं पर ढीली होती पकड़ ने दोनों दलों को हाशिए पर ला दिया है। पश्चिम बंगाल ही नहीं पूरे पूर्वोत्तर भारत में वामदलों और कांग्रेस को अपने वजूद को बचाए रखने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। स्थिति यह है कि कांग्रेस और वामदलों को दोबारा खड़े होने की राह तक नहीं सूझ रही। कांग्रेस के पतन के बाद पश्चिम बंगाल में कभी लाल सलाम के वाहक रहे वामदलों ने राज्य की सत्ता पर तीन दशक से ज्यादा समय तक राज किया।
राज्य में तृणमूल के सत्ता में आने के बाद से राज्य के मतदाताओं पर वाम दलों की पकड़ लगातार कमजोर हो रही है। कांग्रेस के लिए भी खुद को प्रासंगिक बनाए रखना चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में तृणमूल से नाराज मतदाताओं के लिए भाजपा विकल्प के रूप में सामने आई। लोकसभा 2019 और विधानसभा 2021 के चुनावों में भाजपा ने राज्य की राजनीति में जिस तरह से खुद को स्थापित किया है, कांग्रेस और वामदलों की राह और दुरूह हो गई है।

ऐसे बदल गए हालात

वर्तमान में दोनों दल जिस दौर से गुजर रहे हैं, उससे कहीं बेहतर स्थिति साल 2011 में थी। विधानसभा चुनाव 2011 में वाम दलों का मत प्रतिशत 37.9 फीसदी था, जो पांच साल में ही करीब 50 फीसदी गिर गया। वहीं कांग्रेस ने इसी चुनाव में 9.1 फीसदी वोट के साथ 42 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बीते 13 सालों में ही कांग्रेस और वामदलों ने अपनी जमीन छोड़ दी है।

चुनौती कम नहीं

एक ओर देशभर में ‘इंडिया’ गठबंधन को लेकर कांग्रेस जमीन-आसमान एक किए हुए है, पश्चिम बंगाल में पार्टी नेतृत्व गुब्बारे की हवा निकाल रहा है। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी आए दिन ऐसे बयान देकर सुर्खियां बटोरते हैं, जो तृणमूल नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नागवार गुजरे। ऐसे में प्रदेश में दोनों दलों के बीच जिस समझौता एक्सप्रेस को दौड़ाने के प्रयास हो रहे हैं, वह पटरी से बार-बार उतर रही है।

गठबंधन की खुल गई गांठ

देशभर में ‘इंडिया’ गठबंधन पर दांव लगा रहा विपक्ष पश्चिम बंगाल में बिखर गया है। गठबंधन की गांठ ऐसी खुली है कि वामदल और कांग्रेस का तृणमूल के साथ कोई संयोग नहीं बैठ रहा। हालांकि तृणमूल और कांग्रेस के साथ आने की कोशिशें लगातार हो रही हैं।

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