ऐसे बदल गए हालात
वर्तमान में दोनों दल जिस दौर से गुजर रहे हैं, उससे कहीं बेहतर स्थिति साल 2011 में थी। विधानसभा चुनाव 2011 में वाम दलों का मत प्रतिशत 37.9 फीसदी था, जो पांच साल में ही करीब 50 फीसदी गिर गया। वहीं कांग्रेस ने इसी चुनाव में 9.1 फीसदी वोट के साथ 42 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बीते 13 सालों में ही कांग्रेस और वामदलों ने अपनी जमीन छोड़ दी है।
चुनौती कम नहीं
एक ओर देशभर में ‘इंडिया’ गठबंधन को लेकर कांग्रेस जमीन-आसमान एक किए हुए है, पश्चिम बंगाल में पार्टी नेतृत्व गुब्बारे की हवा निकाल रहा है। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी आए दिन ऐसे बयान देकर सुर्खियां बटोरते हैं, जो तृणमूल नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नागवार गुजरे। ऐसे में प्रदेश में दोनों दलों के बीच जिस समझौता एक्सप्रेस को दौड़ाने के प्रयास हो रहे हैं, वह पटरी से बार-बार उतर रही है।
गठबंधन की खुल गई गांठ
देशभर में ‘इंडिया’ गठबंधन पर दांव लगा रहा विपक्ष पश्चिम बंगाल में बिखर गया है। गठबंधन की गांठ ऐसी खुली है कि वामदल और कांग्रेस का तृणमूल के साथ कोई संयोग नहीं बैठ रहा। हालांकि तृणमूल और कांग्रेस के साथ आने की कोशिशें लगातार हो रही हैं।