राम मंदिर ने सभी स्थानीय समस्याओं को पीछे छोड़ दिया है। हर ओर से राम को अपना मानने की आवाज उठ रही है और इस अपने-अपने राम के बीच असली राम-राज्य की चर्चा जरूर चौराहों पर होती नजर आती है। भाजपा के लोग राम मंदिर निर्माण के साथ राम राज्य लाने की बात करते हैं, तो विपक्ष कानून व्यवस्था से लेकर किसानों को हो रही परेशानियों के मसले उठाकर असली राम-राज्य की बात कर रहा है।
पिछले लोकसभा चुनाव में अवध क्षेत्र की 16 सीटों में से भाजपा ने 13 सीटों पर जीत हासिल की थी। विपक्ष के पास जो तीन सीटें थीं, उनमें से रायबरेली सीट कांग्रेस ने जीती थी और अंबेडकर नगर व श्रावस्ती बसपा के पास रही थी। भाजपा इन तीनों सीटों पर नजर गड़ाकर अवध में अपनी जीत का आंकड़ा मजबूत करना चाहती है। विपक्ष भी पूरा जोर लगा रहा है।
अवध क्षेत्र पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और इंदिरा गांधी परिवार की विरासत के लिए भी चर्चा में रहता है। लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत को आगे बढ़ा रहे राजनाथ सिंह एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं, वहीं रायबरेली में गांधी परिवार के वारिस पर सस्पेंस कायम है। रायबरेली के कांग्रेसी चाहते हैं कि सोनिया की जगह प्रियंका चुनाव लड़ें और वे प्रतीक्षारत भी हैं। सुल्तानपुर से गांधी परिवार की भाजपाई प्रतिनिधि मेनका गांधी नौवीं बार सांसद बनने के लिए मैदान में हैं।
लखीमपुर खीरी के सांसद अजय मिश्र टेनी के पुत्र आशीष मिश्र पर किसानों को कार से कुचलने का आरोप लगा था और आशीष को जेल भी जाना पड़ा था। टेनी को भाजपा ने फिर टिकट दे दिया है। ब्रजभूषण शरण सिंह टिकट की प्रतीक्षा में हैं।