– 2019 के चुनाव में भाजपा ने 50 प्रतिशत से अधिक वोटों के साथ 224 सीटें जीती थी।
– तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश व केरल ऐसे राज्य हैं, जहां भाजपा 81 सीट नहीं जीत सकी।
– केरल एकमात्र राज्य, जहां भाजपा को पिछले तीन चुनावों में एक भी सीट नहीं मिली।
किस राज्य में ऐसी कितनी सीटें
मध्यप्रदेश-1 बिहार-14 आंध्रप्रदेश-23 तमिलनाडु-38 पंजाब-10 तेलंगाना-13 केरल-20 पश्चिम बंगाल-24 उत्तरप्रदेश-3 महाराष्ट्र-23 कर्नाटक- 3 सिक्किम-1 मेघालय-2 ओडिशा-13 पडुचेरी-1 मणिपुर-1 नगालैण्ड-1 लक्षदीप-1 जम्मू-कश्मीर-3 मिजोरम-1, असम-4
कानाराम मुण्डियार/ नवनीत मिश्रा
झारखण्ड: नब्ज पर वार
– पूर्व सीएम शिबू सोरेन की पुत्रवधु और जामा से विधायक सीता सोरेन की पारिवारिक नाराजगी को भुनाया। झामुमो छोड़कर भाजपा में आई सीता को दुमका से प्रत्याशी बनाया।
– कांग्रेस की एकमात्र सिंहभूम सांसद गीता कोड़ा (पूर्व मुख्यमंत्री की मधु कोड़ा की पत्नी) की नाराजगी को भुनाया। गीता को भाजपा से जोड़कर सिंहभूम से चुनाव लड़ाने की रणनीति।
– चौधरी चरणसिंह के पौत्र आरएलडी प्रमुख जयंत सिंह एवं एसबीएसपी के ओमप्रकाश राजभर के साथ आने से पश्चिम व पूर्वी उत्तरप्रदेश की सीटों पर एनडीए मजबूत हुआ।
– बीएसपी ने एकला चलो का नारा देकर भाजपा के लिए अधिक सीटें जीतने का रास्ता खोल दिया है। भाजपा ने बीएसपी में तोडफोड़ कर दी।
– 2019 में अंबेडकर नगर लोकसभा सीट पर बीएसपी के टिकट पर जीते सांसद रीतेश पांडे को भाजपा में शामिल कर इसी सीट से उतार दिया।
-2019 में लालगंज से बीएसपी से सांसद बनी संगीता आजाद को भाजपा में शामिल किया। इस बार आजाद भाजपा के टिकट पर चुनाव में उतरी हैं।
– बीबी पाटिल : 2014 और 2019 में बीआरएस के टिकट पर चुनाव जीते थे। इस बार जाहिराबाद से भाजपा के टिकट पर चुनाव उतरे हैं।
– पी भरत : नगरकुरनूल से बीआरएस सांसद पी रामलुलू के बेटे पी भरत को भाजपा ने टिकट दिया है।
– भाजपा-एनडीए ने टीडीपी से गठबंधन किया है। इससे भाजपा को फायदा मिलेगा। तमिलनाडु : संस्कृति से जुड़े
– पीएम मोदी ने खुद तमिल के लोगों से दिल के तार जोड़ने की कोशिशें की है। तमिल संस्कृति व विरासत को सहेजने के प्रयासों से भी भाजपा ने जमीन तैयार की है।
– जहां भाजपा की स्थिति मजबूत है वहां 10-12 सीटें बढ़ाकर खुद लड़ रही है।
– अन्य सीटों पर शिव सेना एकनाथ शिंदे गुट, एनसीपी अजीत पवार गुट के प्रभाव वाली सीटों पर उनसे अलग-अलग रणनीति से गठबंधन किया है।
– जहां गठबंधन दल के पास मजबूत प्रत्याशी नहीं है, वहां गठबंधन के सिंबल पर भाजपा अपने प्रत्याशी उतार रही है।
– कांग्रेस व सीपीएम में घमासान के बीच भाजपा ने ईसाई वोटों को साधने के प्रयास किए हैं।
– पूर्व मुख्यमंत्री के. करूणाकरण की पुत्री पदम्जा वेणुगोपाल एवं पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटोनी के पुत्र अनिल को भाजपा में शामिल कराया जा चुका है।
चाचा पशुपति की जमीन पर पकड़ करने के बाद भाजपा ने चिराग पासवान के युवा कंधों पर सीट शेयरिंग व गठबंधन की जिम्मेदारी सौंपकर बड़ा दांव चला है। ओडिशाः प्लान बी था तैयार
– ओडिशा में गठबंधन नहीं होने की स्थिति में प्लान बी पर लंबे समय से काम किया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के प्रयासों से माइक्रो स्तर पर जमीन मजबूत की गई।
केंद्रीय मंत्रियों ने किए 430 दौरे
भाजपा ने नजदीकी मुकाबले में हारी हुईं 161 सीटों पर केंद्रीय मंत्रियों के तीन-तीन दौरे हुए। रात में रुके भी और स्थानीय जनता के दुख-दर्द को सुनकर उनसे जुड़ने की भी कोशिश की।
साउथ के तटीय राज्य तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश तथा कर्नाटक राज्य की सीटों को साधने के लिए पीएम मोदी खुद बार-बार जा रहे हैं। हर मुद्दे को भुनाने की कोशिश की जा रही।
भाजपा के दिल्ली में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी ने हर बूथ पर 370 नए वोट जोड़ने का टारगेट तय किया था। हारी हुई सीटों पर पार्टी विशेष रूप से इस अभियान को चला रही है।
भाजपा ने मतदाताओं से सीधे जुड़ाव के लिए गांव चलो अभियान भी चलाया। इस अभियान के तहत 7.5 लाख गांवों के करीब 8.5 लाख बूथों तक भाजपा के कार्यकर्ता पहुंचे।