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Lok Sabha Elections 2024 : कर्नाटक में कांग्रेस के सामने सीटें बढ़ाने की तो भाजपा के सामने बरकरार रखने की चुनौती

Lok Sabha Elections 2024 : आगामी लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में कांग्रेस के सामने सीटें बढ़ाने की चुनौती है। वहीं, भाजपा का सीधा आरोप है कि कांग्रेस का राज आते ही विस्फोट फिर होने लगे हैं। विधानसभा चुनाव में लिंगायत और वोक्कालिगा मुद्दा चरम पर रहता है। पढ़िए अनंत मिश्रा की विशेष रिपोर्ट…

Mar 12, 2024 / 08:49 am

Shaitan Prajapat

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Lok Sabha Elections 2024 : दक्षिण राज्यों में चुनाव पूर्व माहौल देखने के मकसद से मेरी यात्रा का अगला पड़ाव था कर्नाटक। अलेप्पी से रात को मावेली एक्सप्रेस पकड़ी और अगले दिन सुबह पहुंच गया मेंगलूरु। तीन घंटे मेंगलूरु में घूमने के बाद मुरदेश्वर एक्सप्रेस पकड़कर उडुप्पी जा पहुंचा। यह वही उडुप्पी है जिसने सालभर पहले हिजाब मुद्दे पर देश का ध्यान खींचा था। दक्षिण का प्रवेश द्वार कहे जाने वाला कर्नाटक एक मात्र दक्षिण राज्य है, जहां भाजपा न सिर्फ अपनी जड़ें जमा चुकी है बल्कि तीन-चार बार सत्ता में भी रह चुकी है। तमाम दूसरे लोगों की तरह मेरे मन में भी एक सवाल घूम रहा था कि क्या दस महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवा चुकी भाजपा यहां पिछले लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहरा पाएगी? यही सवाल जब मेंगलूरु के सांई मंजूनाथ से पूछा तो बोले- एकाध सीट भले कम हो जाए पर भाजपा ही यहां बढ़त में रहेगी। निजी स्कूल में अध्यापक मंजूनाथ से जब दूसरा कारण जानना चाहा तो जवाब मिला कि विधानसभा चुनाव में हार भाजपा की हुई थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में वोट नरेन्द्र मोदी को मिलेगा। उनका मानना है कि कर्नाटक में भ्रष्टाचार के चलते भाजपा सरकार को मुंह की खानी पड़ी थी। डेढ़ दिन उडुप्पी में रहा, लेकिन अब वहां न हिजाब की चर्चा है और न राम मंदिर की। चर्चा है तो बस मोदी की।

कर्नाटक वित्त निगम में सहायक महाप्रबंधक रहे पी.एम. कामता से सवाल किया तो बोले, बाकी नेताओं और मोदी में दो मुद्दों पर बहुत बड़ा अंतर है। मोदी पर न भ्रष्टाचार का आरोप है और न परिवारवाद का। उन्होंने बताया कि, कर्नाटक में जनता दल (एस) का वजूद भले तीन-चार सीटों पर ही हो, लेकिन पूरे राज्य में उसका वोट बैंक है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ी जेडी (एस) इस बार भाजपा के साथ है। इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। ऐसा नहीं कि भाजपा में सब कुछ ठीक है। प्रदेश की राजनीति से बी.एस. येदियुरप्पा भले हट गए हों, लेकिन उनके पुत्र को भाजपा संगठन की कमान सौंप दी गई है। इसे लेकर पार्टी का एक धड़ा खुश नहीं है। राज्य की राजधानी में पिछले दिनों हुआ बम विस्फोट और राज्य के अनेक शहरों में चल रही पानी की किल्लत की चर्चा जरूर सुनने को मिली।

भाजपा का सीधा आरोप है कि कांग्रेस का राज आते ही विस्फोट फिर होने लगे हैं। विधानसभा चुनाव में लिंगायत और वोक्कालिगा मुद्दा चरम पर रहता है, लेकिन लोकसभा चुनाव में जातीय समीकरणों का मुद्दा प्रभावी नहीं जान पड़ता है। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। कांग्रेस अपनी पहली सूची जारी भी कर चुकी है और भाजपा-जेडी (एस) की सूची भी आने वाली है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से पिछले साल कांग्रेस को चुनावी संजीवनी मिली थी। लेकिन इस बार मोदी के मुकाबले इस प्रदेश में राहुल गांधी के दौरे कम हुए हैं।

कर्नाटक, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का गृह राज्य है। पिछले चुनाव में राज्य की 28 में से सिर्फ एक सीट ही कांग्रेस के हाथ लगी थी। इस बार के चुनाव नतीजे तय करेंगे कि खरगे अपने राज्य में अपनी पार्टी को कितनी सफलता दिला पाए। पांच साल पहले के चुनाव में देश के प्रधानमंत्री रहे एच.डी देवगौड़ा को भी हार का सामना करना पड़ा था। उडुप्पी के अलावा दूसरे शहरों में अभी चुनावी रंग चढऩा शुरू नहीं हुआ है। सभी टिकट सामने आने के बाद चुनावी रंगत परवान पर चढ़ेगी। यहां कांग्रेस के सामने चुनौती सीटें बढ़ाने की है तो भाजपा के सामने अपनी सीटों को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है।

भाजपा में केन्द्रीय मंत्री का विरोध
उडुप्पी-चिकमगलूर लोकसभा सीट से दो बार से जीत रही केन्द्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे को फिर प्रत्याशी बनाने को लेकर भाजपा का एक धड़ा भारी विरोध कर रहा है। पिछले दिनों पार्टी कार्यकर्ताओं ने करंदलाजे को टिकट नहीं देने को लेकर एक मोटरसाइकिल रैली भी निकाली। भाजपा युवा मोर्चा कार्यकर्ता राजीव हेगड़े से बातचीत हुई तो बोले, हमारी सांसद ने दस साल में क्षेत्र के लिए कुछ खास नहीं किया है। भाजपा के भीतर इस विरोध को बी.एस. येदियुरप्पा के विरोध से जोड़कर देखा जा रहा है। पार्टी का एक धड़ा मानता है कि येदियुरप्पा अब भी पर्दे के पीछे से भाजपा को नियंत्रित कर रहे हैं।

दक्षिण के ‘मौसम विज्ञानी’
पिछली बार कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ी जनता दल (एस) ने इस बार भाजपा के साथ खड़ी है। मेंगलूरु के कपड़ा व्यापारी एम. अशरफ ने चुटकी लेते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी देवगौड़ा दक्षिण भारत के मौसम विज्ञानी हैं। वे कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा के साथ गठजोड़ करते रहते हैं। जनता दल (एस) कांग्रेस के सहयोग से सरकार चला चुकी है। इस बार उन्होंने भाजपा का दामन थामा है। राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस में नेतृत्व विवाद उभर ही आता है। पिछले चुनाव में पार्टी ने भले सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बना दिया, लेकिन उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के समर्थक इसे पचा नहीं पाए हैं। कांग्रेस दो धड़ों में बंटी है। डीके के भाई डीके सुरेश को बेंगलूरु दक्षिण से पार्टी प्रत्याशी बनाया है

किस दल को कितनी सीटें मिली
कुल सीटे : 28
भाजपा : 25
कांग्रेस : 1
जेडी (एस) : 1
निर्दलीय : 1

किस दल को कितने मत मिले
जेडी (एस) : 9.74%
भाजपा : 51.75%
कांग्रेस : 32.11%
निर्दलीय : 3.92%

– कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का कर्नाटक गृह राज्य है।
– पिछली बार कांग्रेस को 28 में से एक ही सीट मिल पाई थी।

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