पूर्वांचल के दो बड़े केंद्र
उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के दो बड़े केंद्र हैं- वाराणसी व गोरखपुर। वाराणसी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं, तो गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि है। इस समय पूर्वांचल के 27 लोकसभा क्षेत्रों में से सिर्फ लालगंज, जौनपुर, गाजीपुर व घोसी में ही विपक्ष काबिज है। अब विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती मोदी-योगी के आभामंडल से बचकर यहां वापसी करने की है।
समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस का गठबंधन
समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में कांग्रेस को 27 में से छह सीटें अमेठी, बांसगांव, प्रयागराज, महाराजगंज, वाराणसी व देवरिया मिली हैं, पर अनेक कांग्रेसी दिग्गज पार्टी छोड़ चुके हैं। कभी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और एक दिन के मुख्यमंत्री रहे जगदंबिका पाल हों या राहुल गांधी के नजदीकी कहे जाने वाले आरपीएन सिंह, दोनों अब भाजपा में हैं। मुंबई में यूपी वालों की आवाज कहे जाने वाले कांग्रेसी कृपा शंकर सिंह इस बार जौनपुर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। समाजवादी दिग्गज व देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
सपा की प्रतिष्ठा भी दांव पर
पूर्वांचल में सपा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव आजमगढ़ से मैदान में हैं। विपक्ष के लिए गठबंधन संभालना भी चुनौती बन गया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) सपा संग थी, पर अब भाजपा संग है। सुभासपा घोसी से चुनाव लड़ेगी। भाजपा ने सोनभद्र व मिर्जापुर की सीटें अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल को दी हैं, वहीं अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल कमेरावादी ने सपा से गठजोड़ टूटने पर फूलपुर, मिर्जापुर व कौशांबी से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।