1 घटक वलों पर निर्भरता बढ़ेगी
मतगमना के रुझानों में भाजपा बहुमत के जादुई आंकड़े से दूर रह गई। ऐसे में एनडीए की सरकार बनेगी तो भाजपा को अपने सहयोगियों पर निर्भर रहना होगा। पिछली बार भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला था।
2 भाजपा के घटे, कांग्रेस के वोट बढ़े
भाजपा के वोट शेयर पिछले चुनाव के मुकाबले कम हुआ है। 2019 में इसे 37.36% वोट मिले थे, इस बार यह कम होकर 36.56 हो गया है। यानी 0.80% कम। कांग्रेस के चीट शेयर 19.49% से बढ़कर 21.19% हो गया।
3 क्षेत्रीय दलों का फिर उभार
यह चुनाव क्षेत्रीय दलों के फिर से उभार के लिए भी जाना जाएगा। बिहार में जेडीयू, झारखंड में जेएमएम, महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना और यूपी में सपा को जनता का भरोसा मिला है।
4 हिंदी पट्टी में भाजपा को झटका
इस बार हिंदी पट्टी के राज्यों में भाजपा को नुकसान हुआ। बिहार व झारखंड में भी भाजपा को झटका लगा है। हालांकि उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भाजपा ने अपना प्रदर्शन बेहतर किया है।
5 भारत नहीं होगा कांग्रेस मुक्त
देश को कांग्रेस मुक्त करने के सत्तापक्ष का लक्ष्य फिलहाल पूरा होता नहीं दिख रहा है। कांग्रेस ने इस बार अच्छा प्रदर्शन किया है। 2019 की 52 सीट के मुकाबले इस बार कांग्रेस 99 सीट पर आगे चल रही है। कांग्रेस ने यह उपलब्धि तब हासिल की है जब गठबंधन दलों के कारण कम सीटों पर चुनाव लड़ा।
6 राममंदिर का कोई खास असर नहीं
चुनाव परिणामों में अयोध्या में ऐतिहासिक राममंदिर बनाने के वादे को पूरा करने का सीधे तौर फायदा नहीं दिख रहा है। फैजाबाद सीट पर भाजपा चुनाव हार गई है, जिसके अंदर अयोध्या आती है। यहां सपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की।
7 राहुल को यात्राओं का मिला फायदा
देश की जड़ों से जुड़ने की कोशिश के तहत कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा व न्याय यात्रा की। राहुल को इन यात्राओं का फायदा मिला। जिन राज्यों में राहुल की यात्राएं हुई है, वहां कांग्रेस को फायदा हुआ।
8 बसपा ने सब कुछ गंवाया
यूपी में मायावती की बसपा का खाता भी खुलता नहीं दिख रहा है। पिछले चुनाव बसपा को 10 सीटें मिली थीं और इस बार वोट प्रतिशत 19.43 फीसदी से घटकर इस बार करीब 9.37 फीसदी रह गया है।
9 कांग्रेस को मुस्लिम वोटों का लाभ नहीं
2019 में 103 मुस्लिम बहुल सीटों में भाजपा ने 45 जीती थी। तब कांग्रेस को 11 और अन्य को 45 सीट मिली थी। इस बार इन सीटों में 34 पर भाजपा, 12 पर कांग्रेस और 55 सीट पर अन्य आगे हैं।
10 मुक्त की रेवड़ियां हमेशा काम नहीं आती
लोकलुभावन घोषणाएं हमेशा काम नहीं आते। मुफ्त में चीजें देकर केसीआर जनता को लुभाने में कामयाब नहीं हुए। आंध्र प्रदेश में भी जगनमोहन रेड्डी को निराशा ही हाथ लगी।
11 विधानसभा चुनावों पर डालेंगे असर
आम चुनाव के नजों कर आने वाले विधानसभा चुनाओं पर मी अपर देखने को मिलेगा। महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव होना है। जन्मू कक्ष्गीर भी कतार में है। डरियाणा और झारखंड में भाजपा पडते से ही परेशानी में ही हैं।