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Lok Sabha Election 2024 : बौछार की राहत के साथ वोट की चाहत, बीजेपी और कांग्रेस के बीच होगी कड़ा मुकाबला

Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनावों में महिला वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए कांग्रेस ने छह महिला उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है। वहीं, भाजपा बड़े पैमाने पर केंद्र सरकार की महिला कल्याण योजनाओं और प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों को प्रचारित-प्रसारित कर रही है। पढ़िए राजीव मिश्रा की विशेष रिपोर्ट…

Apr 01, 2024 / 08:32 am

Shaitan Prajapat

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Lok Sabha Election 2024 : कर्नाटक में सूखे का असर सामने आ रहा है। शहरी क्षेत्रों में सब्जियों की आवक कम हो गई है जिससे भाव आसमान पर हैं। जेब पर पड़ रही मार से निपटने के लिए महिलाएं समूह बनाकर बड़ी मंडियों में जाने लगी हैं, जहां, से ताजी और थोक दर पर सस्ती सब्जियां मिल जाती हैं। बसों में महिलाओं के लिए यात्रा मुफ्त है। इसलिए अब वे आने-जाने में संकोच नहीं करतीं। धार्मिक स्थलों पर भी महिलाएं खूब जाने लगी हैं। इस तरह की राहतें आधी आबादी के मन तक उतर गई हैं। इसका असर लोकसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है।

बेंगलूरु की तंग बस्तियों में रहने वाली एक महिला ने चमकती आंखों से कहा कि, पिछले कुछ महीनों से गृह लक्ष्मी योजना की राशि बैंक में ही छोड़ दी। बिजली बिल भी नहीं देना है। अकाउंट में अब 12 हजार से अधिक रुपए हैं। इतने पैसे बैंक खाते में कभी नहीं रहे। इससे मन को काफी राहत है। लोकसभा चुनावों में महिला वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए कांग्रेस ने छह महिला उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है। इससे निपटने के लिए भाजपा बड़े पैमाने पर केंद्र सरकार की महिला कल्याण योजनाओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों को प्रचारित-प्रसारित कर रही है। भाजपा के राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया कहते हैं कि नि:शुल्क बस यात्रा के हकदार 10 फीसदी भी नहीं हैं। अधिकतर अनुचित लाभ ले रहे हैं। इससे भाजपा को नहीं, राज्य को नुकसान है। मोदी की गारंटी के आगे यह प्रलोभन नहीं चलेगा। देखना यह है कि चुनाव में मोदी की गारंटी पर महिलाएं भरोसा करेंगी या वर्तमान में मिल रही राहतों पर।

कांग्रेस की गलफांस

अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा भी है। बेंगलूरु दक्षिण लोकसभा क्षेत्र के पूर्व बीईएल कर्मी कुमारस्वामी कहते हैं कि नम्मा प्रोपर्टी, नम्मा बेकु (हमारी संपत्ति है, हमें चाहिए)। पीएम मोदी के अलावा यह कोई नहीं कर सकता था। अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद राज्य से 12 आस्था ट्रेनें चलाई गईं। रामलला के दर्शन कर लौटे भाजपा विरोधियों का भी मन कुछ बदला नजर आया। अरुण कार्तिक कहते हैं कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के समय यह साफ हो गया कि कौन, किसके साथ है। भले ही उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार कहते होंं कि उनके नाम में शिव और मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या में नाम में राम हैं, लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे पर फंसी हुई है।

मतदाता की नजर

बेंगलूरु मध्य लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं का मन टटोला तो, पीएम मोदी के चेहरे, जाति और संप्रदाय के साथ स्थानीय उम्मीदवारों के नाम पर लोग बंटे हुए नजर आए। वोट किसे देंगे यह तो बाद में पता चलेगा।

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