बेटे को हराने तक की हो रही अपील
Lok Sabha Election 2024: पद का सुख भोगने के लिए पिता-पुत्र एक दूसरे को ललकार रहे हैं। सियासी इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है कि मां-बेटे आमने-सामने हो जाते हैं। पति अपना धर्म भूल जाता है तो पत्नी घर की देहरी लांघ कर पति को सबक सिखाने राजनीति में आ जाती है। पढ़िए सिद्धार्थ भट्ट की विशेष रिपोर्ट…
•Apr 13, 2024 / 08:54 am•
Shivam Shukla
कहा जाता है कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता है। लेकिन सत्ता का स्वाद ही ऐसा है कि सियासी अदावत होने लगे तो खून के रिश्ते ही एक दूसरे को चुनौती देने लगते हैं। यह सब इस बार के लोकसभा और चार राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल रहा है। पद का सुख भोगने के लिए पिता-पुत्र एक दूसरे को ललकार रहे हैं। सियासी इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है कि मां-बेटे आमने-सामने हो जाते हैं। पति अपना धर्म भूल जाता है तो पत्नी घर की देहरी लांघ कर पति को सबक सिखाने राजनीति में आ जाती है। भाई-भाई और भाई-बहन रिश्ते भुला कर एक दूसरे को जमीन दिखाने के लिए दांव-पेंच अजमाते हैं। इस बार भी ससुर-दामाद, चाचा-भतीजा तथा देवरानी-जेठानी, ननद-भाभी एक दूसरे के सामने ताल ठोक रहे हैं। सत्ता संघर्ष जब चरम पर पहुंचता जाता है तो पार्टी के साथ परिवारों को भी तोड़ देता है।
बेटे को हराने तक की हो रही अपील
Hindi News / National News / सियासत: पिता-पुत्र, मां-बेटे और भाई-भाई के बीच खिंचीं सियासी तलवारें, राजनीति के मैदान में…अपने हुए पराए