कुरुक्षेत्र में हुआ था महाभारत का युद्ध
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश भी कुरुक्षेत्र में ही दिया था। महाभारत ख़त्म हो गई, लेकिन इसका ज़िक्र आज भी होता रहता है। धर्म और अधर्म की लड़ाई के कई क़िस्से रहस्य बने हुए हैं। उनमें से एक है श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के लिए कुरुक्षेत्र को ही क्यों चुना।
कुरुक्षेत्र का रहस्य
ऐसा कहा जाता है कि महाभारत युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था। इसमें भीषण युद्ध में लाखों-करोड़ों योद्धाओं ने अपनी जान गंवाई थी। इस युद्ध के लिए भूमि ढूंढने का जिम्मेदारी भगवान श्रीकृष्ण को दी गई थी। कौरवों और पांडवों के बीच होने वाले युद्ध के लिए श्रीकृष्ण को एक ऐसी ज़मीन की जरूरत थी जिसका इतिहास काफ़ी भयानक रहा हो। वो जानते थे कि ये युद्ध भाइयों और घनिष्ठ लोगों के बीच होने वाला था। रणभूमि में अपनों को मरते देख योद्धाओं के मन में समझौते की भावना पैदा हो सकती थी। इसलिये वो एक ऐसी रणभूमि चाहते थे, जिसका इतिहास क्रोध और द्वेष से भरा हो।
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इसलिए युद्ध के लिए चुना कुरुक्षेत्र
ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने ऐसी जमीन को खोजने के लिए चारों दिशाओं में अपने दूत भेजे। एक दूत कुरुक्षेत्र की जानकारी दी। दूत ने बताया इस स्थान पर बड़े ने अपने छोटे भाई को खेत की मेंढ़ से बहते पानी को रोकने का आदेश दिया। वहीं छोटे भाई ने अपने भाई की बात मानने से इंकार कर दिया। बड़ा भाई क्रोधित हुआ और उसने छूरा लेकर अपने ही भाई की हत्या कर दी। सबसे खास बात उसने अपने ही भाई की लाश को मेंढ़ के पास लगा ताकि पानी का बहाव कम हो सके। दूत की बात सुनकर श्रीकृष्ण ने निश्चित कर लिया कि भाई-भाई के युद्ध के लिये इससे उपयुक्त स्थान हो नहीं सकता। इसलिये उन्होंने महाभारत के युद्ध के लिए कुरुक्षेत्र को चुना था।