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Krishna Janmashtami 2023 : जन्माष्टमी का व्रत आज, जानिए पूजा विधि-शुभ मुहूर्त की जानकारी

Krishna Janmashtami 2023 : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर साल भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। आज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वज्र योग, कौलव करण, चन्द्र राशि वृषभ और गुरुवार दिन है।

Sep 07, 2023 / 08:51 am

Shaitan Prajapat

Krishna Janmashtami 2023

Krishna Janmashtami 2023 : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर साल भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। आज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वज्र योग, कौलव करण, चन्द्र राशि वृषभ और गुरुवार दिन है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन घरों और मंदिरों में विशेष रूप से सजावट की जाती है। अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में कृष्ण जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है। देशभर में आज धूमधाम से जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है। मथुरा-वृंदावन से लेकर देश के विभिन्न राज्यों में सुबह से मंदिरों में हरे रामा-हरे कृष्णा के जयकारे गूंज रहे हैं। श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल के रूप में उनकी मूर्ति का पूजन करना शुभ होता है। वैसे तो लड्डू गोपाल की सोने चांदी पीतल आदि की मूर्ति होती है। किंतु अष्टधातु की मूर्ति का पूजन करना लाभप्रद होता है।


7 सितंबर 2023 का पंचांग

आज की तिथि – भाद्रपद कृष्णपक्ष अष्टमी
आज का नक्षत्र – रोहिणी
आज का करण – कौलव
आज का पक्ष – कृष्ण
आज का योग – वज्र
आज का वार – गुरुवार
आज का दिशाशूल: दक्षिण
जन्माष्टमी व्रत पारण: सूर्योदय के बाद

श्रीकृष्ण के प्रिय फूल, पत्ते

फूल- वैजयंती, कमल, कनेर, गेंदा, गुलाब, केवड़ा, मालती
पत्र – तुलसी, दूर्वा, कुशा, बिल्वपत्र, भृंगराज, अपामार्ग
प्रिय वस्तु – बांसुरी, मोरपंख, मुकुट, वैजयंती माला, पीतांबर


जन्माष्टमी की पूजन विधि

Janmashtami 2023 Puja Vidhi : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजन विधि में सर्वप्रथम सुबह उठकर ओम नमो भगवते वासुदेवा का मन में जब करना चाहिए। इसके बाद श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित हो, वहां साफ-सफाई करके गंगाजल डालकर शुद्ध करना चाहिए। इस स्थान को अशोक की पत्ती, फूल, माला और सुगंध इत्यादि से खूब सजाना चाहिए।

शुभ मुहूर्त

Janmashtami 2023 Shubh muhurt: भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि 12 बजे हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी पर भगवान की पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त रात 12 बजे ही माना जाता है। 7 सितंबर की रात 12 बजते ही आप भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा कर सकते हैं। जन्माष्टमी के व्रत का पारण समय शुक्रवार, 8 सितंबर को सुबह 6 बजकर 2 मिनट के बाद रहेगा।


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